दीक्षार्थी कृति कोठारी की शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब

इंदौर .  बचपन में जिन गलियों में रहकर वहां की धूल-मिट्टी को खेल-खेल में अपने कपड़ों को सुरभित करने का आनंद लिया और जिन संगी-साथियों के साथ अपनी शिक्षा पूरी की, आज उन्हीं गलियों की मिट्टी उस वक्त धर्म और संस्कृति की आभा से महक उठी, जब श्वेताम्बर जैन समाज की एमबीए जैसी उच्च शिक्षित कारोबारी युवती कृति कोठारी वैराग्य की राह पर चलने के लिए अंतिम बार बैंड-बाजों सहित आधुनिक और रंगीन परिधान पहनकर रथ में सवार होकर निकली और अनेक स्वजनों की दुआएं उनके साथ जुड़ती चली गई।

 

समाज के दो हजार से अधिक बंधु भी इस यात्रा में दीक्षार्थी के साथ चले। उन्हें दीक्षा देने के लिए 800 कि.मी. लंबा सफर तय कर इंदौर पहुंचे गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. एवं अनेक साधु-साध्वी भी दीक्षार्थी के साथ करीब तीन घंटे तक जानकी नगर एवं आसपास की कालोनियों में पैदल चले। इस दौरान दीक्षार्थी ने कभी 50, 20 और 10 के नोटों को दोनों हाथों से लुटाया तो कभी अपने संसारी जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को भी। दीक्षा का दो दिवसीय मुख्य महोत्सव रविवार से एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग पर शुरू होगा।

श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ जानकी नगर के तत्वावधान और गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. के सानिध्य में आज सुबह जानकी नगर स्थित श्वेताम्बर जैन मंदिर परिसर से दीक्षार्थी सुश्री कृति कोठारी का वर्शीदान वरघोड़ा निकाला गया। सोलह श्रृंगार में सज-धजकर आई दीक्षार्थी कृति ने सबसे पहले गुरुदेव गच्छाधिपति जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. का अभिवादन कर एक सुसज्जित बग्घी में सवार होकर बैंड-बाजों की सुर लहरियों पर थिरकना शुरू किया, वहां पहले से मौजूद जन सैलाब भी थिरक उठा। एक जुलूस की शक्ल में यह शोभायात्रा जानकी नगर के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, दीक्षार्थी के स्वागत की होड़ भी बढ़ती चली गई। जानकी नगर, जानकी नगर एक्सटेंशन, दुर्गा नगर एवं आसपास की कालोनियों में लगभग सभी घरों में दीक्षार्थी का स्वागत हुआ। साथ चल रहे समाज के लगभग दो हजार से अधिक बंधुओं ने भी दीक्षार्थी का आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान दीक्षार्थी ने कई बार रथ पर खड़े होकर नृत्य करते हुए अपनी प्रसन्नता भी व्यक्त की।

नृत्य करते हुए सामग्री लुटाई – रथ पर सवार होकर दीक्षार्थी कृति कोठारी ने कई बार खड़े होकर अपने दोनों हाथों से संसार के वैभव और ऐश्वर्य के अलावा अपने नियमित जीवन में काम आने वाली वस्तुओँ को लुटाते हुए यह शोभायात्रा तय की। गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. के साथ साधु साध्वी, भगवंत भी पूरे समय साथ चले। शोभायात्रा में सबसे आगे जैन महिला मंडलों की महिलाएं गुलाबी परिधान में मंगलकलश एवं जैन धर्म की ध्वजाएं लिए हुए चल रही थी। उनके बाद साधु साध्वी, एक अन्य रथ पर तीर्थंकर भगवान की मूर्ति और दूसरे रथ पर दुग्ध धारा को जुलूस मार्ग को प्रक्षालित करते हुए श्रद्धालु भी शामिल थे। इस पूरी यात्रा में करीब तीन घंटे का समय लगा और पूरे समय दीक्षार्थी के साथ समाज बंधुओं का जोश देखते ही बनता था। अनेक युवा आचार्यश्री एवं साधु-संतों के समक्ष नृत्य करते हुए नजर आए। विभिन्न मार्गों से होते हुए वरघोड़ा पुनः जानकी नगर श्वेताम्बर जैन मंदिर पहुंचा, जहां गच्छाधिपति आचार्यश्री ने अपने प्रभावी आशीर्वचन में दीक्षा की महत्ता बताते हुए दीक्षार्थी के मंगलमय भविष्य की शुभकामनाएं व्यक्त की। संध्या को आंगी दर्शन एवं सामूहिक आरती में सैकड़ों समाजबंधुओं ने भाग लिया। रात्रि को मुंबई के संजय भाऊ ने चारित्र वंदावली का भावपूर्ण मंचन प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर बनाए रखा।

        श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ जानकी नगर के दिलसुखराज कटारिया, दिनेश डोसी, प्रेमचंद कटारिया एवं मीडिया प्रभारी नवीन ललवानी जैन ने बताया कि शोभायात्रा में सूर्या आदर्श बहू मंडल की महिलाएं अध्यक्ष सारिका बेताला एवं अलका ललवानी के साथ जुलूस में शामिल रहीं, वहीं वधर्मान जैन युवा मंच के सदस्य भी परंपरागत परिधान में पूरे समय साथ चले। शहर के विभिन्न जैन श्रीसंघों की ओर से नवरत्न परिवार के ललित सी. जैन, प्रीतेश ओस्तवाल, मोहनसिंह लालन, धर्मेन्द्र मेहता, दिनेश हुंडिया, जितेन्द्र चौपड़ा, कैलाश चौधरी, उत्तम ललवानी, सुरेन्द्र तांतेड़, दिलीप ओस्तवाल,  केशवभाई शाह, मिलाप भंसाली, अनोप कोचर, पदम छल्लाणी आदि भी शामिल हुए।

        हल्दी-मेहंदी की रस्म – दोपहर में मंदिर में गच्छाधिपति की निश्रा में दीक्षार्थी कृति कोठारी एवं उनके अन्य परिजनों ने साधु साध्वी भगवंतों की साक्षी में हल्दी के छींटे और मेहंदी की रस्म पूरी की। कृति कोठारी ने यहां भी नाचते-गाते हुए साधु साध्वी भगवंतों से शुभाशीष प्राप्त किए।