विद्या धाम में पुष्प बंगले को निहारने उमड़ा भक्ति-भाव का समंदर

इंदौर,  । रंग-बिरंगे फूलों से मन को महकाने वाली खुशबू… भक्तों में दर्शन की होड़… बार-बार मां के जयघोष से गूंजता परिसर… विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चार की मंगल ध्वनि… कांच और रेशमी वस्त्रों पर नक्काशी से सजा मां का महल…मंदिर के सामने महिलाओं द्वारा भजनों के सुर-ताल पर थिरकते श्रद्धालु… दर्शनार्थियों की लंबी कतारें… समूचे आश्रम परिसर में भक्तिभाव के समंदर की हिलौरे भरता जनसैलाब…।

यह भक्ति भावपूर्ण दृश्य था विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम का, जहां आज शाम से देर रात तक मंदिर के 27वें प्रकाशोत्सव के मुख्य दिवस एवं समापन प्रसंग पर भक्तों का अटूट सैलाब बना रहा। सुबह स्वामी गिरिजानंद सरस्वती वेद वेदांग विद्यापीठ के भूदेवों में वैदिक संध्या, षोडशोपचार पूजन-अभिषेक, श्रृंगार आरती, दुर्गा शप्तसती पाठ जैसे अनुष्ठान संपादित किए वहीं दोपहर में आचार्य पं. राजेश शर्मा सहित 21 विद्वानों ने यज्ञशाला में चल रहे सग्रहमख शिव-शक्ति महायज्ञ की पांच लाख आहुतियां पूर्ण होने पर यज्ञ देवता के जयघोष के बीच पूर्णाहुति संपन्न की। आश्रम परिवार के पूनमचंद अग्रवाल, सुरेश शाहरा, पं. दिनेश शर्मा,  राम ऐरन न्यासी मंडल के सदस्यों ने पूरे समय व्यवस्थाएं संभाली। संध्या को पुष्प बंगले के दर्शनों के साथ 108 दीपों से महाआरती के लिए बेताब भक्तों का आगमन सायं 5 बजे से ही शुरू हो गया था। इस दौरान मां के जयघोष गूंजते रहे।

आश्रम के 11 आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जैसे ही मंदिर के पट खोले गए, मां के नयनाभिराम पुष्प बंगले के दर्शनों के लिए प्रवेश द्वार से मंदिर तक भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। रंगकर्मी दीपक कुसुमाकर एवं उनके दस साथियों द्वारा पिछले एक सप्ताह से सजाए जा रहे पुष्प बंगले में नौ किस्म के सात हजार किलो फूलों से मां पराम्बा भगवती, आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ के मंदिर तथा अन्य सभी देवालयों का पुष्प बंगला पूरे समय भक्तों में आकर्षण का केन्द्र बना रहा। इन फूलों में गुलाब, मोगरा, कुंद, डच गुलाब, बिजली, आर्केड जैसे फूलों के अलावा थाईलैंड से व्हाया बैंगलुरु होते हुए इंदौर आए कार्नेशियन प्रजाति के फूलों का प्रयोग किया गया।

देर रात तक चला दर्शनों का दौर – आश्रम परिवार की ओर से महिला-पुरुषों के लिए पृथक कतारें लगाकर श्रृंगार दर्शन की विशेष व्यवस्था किए जाने से यह क्रम पूरे समय निर्बाध चलता रहा, लेकिन मां का श्रृंगार ही इतना मनोहारी, दिव्य और अनुपम था कि जो भी देखता, वहीं थम जाता और इस मनोहारी दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने में मशगुल हो जाता। सैल्फी का दौर भी पूरे समय चलता रहा। आश्रम ट्रस्ट के पूनमचंद अग्रवाल के अनुसार शाम से देर रात तक करीब दस हजार भक्तों ने अलग-अलग समूहों में इस प्रकाशोत्सव में भागीदार बनकर पुण्य लाभ उठाया। अनेक विशिष्टजनों ने भी कतार में लगकर पुष्प बंगले के दर्शन किए। इनमें राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन, उद्योगपति दिनेश मित्तल, विधायक संजय शुक्ला, पूर्व पार्षद निरंजनसिंह चौहान गुड्डू आदि भी शामिल थे।