शनिदेव की प्रसन्नता के लिए सत्य, क्षमा, तप और दया बढ़ाने वाले कर्म करें

शनिदेव की प्रसन्नता के लिए सत्य, क्षमा, तप और दया बढ़ाने वाले कर्म करें

इंदौर  । शनिदेव की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक मनुष्य को सत्य, क्षमा, तप और दया को बढ़ाने वाले कर्म करना चाहिए। यदि वेदों की बात माने तो अपने पुरुषार्थ की सफलता के लिए हमें ब्रह्मयज्ञ, अग्नियज्ञ, देवयज्ञ, भूत यज्ञ और अतिथि यज्ञ जैसे अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। प्रतिदिन पंचदेव के पूजन से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। देव कोई भी बुरे नहीं होते। शनिदेव को हम लोग संसारी दृष्टि से क्रूर या कठोर देव की श्रेणी में रख सकते हैं, लेकिन असल में शनिदेव एक न्यायप्रिय और अपने सिद्धांतों को मनवाने वाले सरल देव हैं।

       डॉ. विभाश्री  ने आज गीता भवन में शनि उपासक मंडल एवं संस्था समरस की मेजबानी में चल रहे पांच दिवसीय शनि पुराण महात्यम कथा के चौथे दिन शनि पुराण के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उक्त बातें बताई।  शनि मंदिर जूनी इंदौर के पुजारी पं. सचिन तिवारी, भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर, गीता भवन सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। 

       डॉ. विभाश्री ने कहा कि हमारी कुंडली में शनिदेव के नीच ग्रह में होने का मतलब यह है कि वे आपकी तरफ पीठ करके बैठे हैं। इसका कारण हमारे नियमित कर्मों में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। इसी तरह यदि शनि उच्च ग्रह में बैठे हो तो थोड़े से प्रयासों से अधिक सफलता मिल सकती है। आजकल शनि रत्न के नाम पर ज्योतिष के आधार पर अनेक तरह के रत्न पहन दिए जाते हैं। रत्न पहनने के पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि छठे, आठवें और बारहवें ग्रह में यदि शनि नीच के हों तो शनि रत्न नहीं पहनें। यदि ऐसा किया तो इसके विपरित परिणाम मिल सकते हैं। शनि सात्विक कर्मों को पसंद करते हैँ। वे ढोंग, छल-कपट और दिखावे में रहने वाले लोगों की मदद नहीं करते। डॉ. विभाश्री ने शनि के नीच और उच्च ग्रह में होने से क्या लाभ या नुकसान हो सकते हैं और यह भी बताया कि शनिदेव को केवल अपने श्रेष्ठ कर्मों से ही प्रसन्न रखा जा सकता है। भगवान हमारे भाव देखते हैं, प्रभाव नहीं। उन्होंने शनि की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन तांबे के पात्र में गर्म पानी रखकर, उसमें रात्रि को धनिया, हरि मिर्च के दो टुकड़े, अदरक, पोदीना, तुलसी के पत्तों को डालकर अगले दिन सुबह उसमें एक आंवले के टुकड़े और एक नींबू का रस निचोड़कर पीने से भी शनिदेव की नाराजी दूर हो सकती है।