मर्यादाओं और परम्पराओं की बुनियाद पर खड़ा है भारतीय समाज – पं. शर्मा

 

इंदौर, । भारत वेद-पुराणों, धर्म गुरुओं, ऋषि-मुनियों और अवतारों की भी भूमि है। जितने अवतार भारत भूमि पर हुए हैं, उतने दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं हुए। राम और कृष्ण के बिना भारतीय धर्म और संस्कृति का पालन संभव नहीं है। भारतीय समाज मर्यादाओं और परम्पराओं की बुनियाद पर खड़ा है। राम भारत के रोम-रोम में बसे हैं तो कृष्ण भी इस भूमि के कण-कण में मौजूद है। राम और कृष्ण के बिना भारत की पहचान संभव ही नहीं है।

ये प्रेरक विचार हैं प्रख्यात भागवताचार्य पं. अनिल शर्मा के, जो उन्होंने आज लोहारपट्टी स्थित श्रीजी कल्याणधाम, खाड़ी के मंदिर पर चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में भगवान राम एवं कृष्ण के जन्म प्रसंग, समुद्र मंथन आदि प्रसंगों की व्याख्या के दौरान व्यक्त किए। कथा में आज शाम भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान का जन्म हुआ, महिलाओं ने बधाई गीत गाए और भक्तों ने ‘ नंद में आनंद भयो जय कन्हैयालाल की…’ भजन पर नाचते हुए अपनी खुशियां व्यक्त की। आज हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में पं. पवनदास शर्मा, वर्षा शर्मा, राजेन्द्र मालवीय, श्रवणसिंह चावड़ा, तनय शर्मा, सुभाष शर्मा, मंजू शर्मा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा के साथ प्रतिदिन मालवी भजनों पर भी श्रद्धालु थिरक रहे हैं।

पं. शर्मा ने कहा कि भारत भूमि जैसी विलक्षण भूमि दुनिया में कहीं और नहीं है। दुनिया के किसी भी देश में इतने त्योहार और अवतार नहीं हुए हैं पश्चिमी देशों में सूर्योदय बाद में होता है, भारत में पहले। पश्चिम की संस्कृति डूबते हुए सूरज की है। राम और कृष्ण इस पावन धरा के प्राण तत्व हैं, जिनके बिना हमारी परंपराएं, संस्कार और संस्कृति भी अधूरे हैं। राम-कृष्ण के बिना हमारी संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे धर्म शास्त्रों में भी इन अवतारों का प्रामाणिक विवरण मौजूद है, जिसका आशय यह है कि हम कपोल कल्पित बातों में विश्वास नहीं रखते।