संसार की विडंबनाओं से मुक्ति पाने के लिए कुरुक्षेत्र की रणभूमि से अंकुरित दिव्य गीता ज्ञान ही सक्षम

संसार की विडंबनाओं से मुक्ति पाने के लिए कुरुक्षेत्र
की रणभूमि से अंकुरित दिव्य गीता ज्ञान ही सक्षम

इंदौर,  हम सब चाहते तो सुख हैं, लेकिन होते दुखी हैं। ज्ञान की इच्छा होते हुए भी हम अज्ञान के बादलों से ढंके ही रहते हैं। हम एक पूर्ण प्रेम चाहते हैं लेकिन लगातार हालात ऐसे बनते हैं कि हृदयाघात को झेलना पड़ता है। हमारी शैक्षिणक डिग्रियां, बटोरा हुआ ज्ञान और संसार भर में फैले हुए हमारे रिश्ते भी हमें जीवन की इन विडंबनाओं से नहीं छुड़ा पाते। इस स्थिति में कुरुक्षेत्र की रणभूमि से अंकुरित हुआ गीता का दिव्य ज्ञान ही है, जो हमें जीवन के दैनिक युद्ध में निडरता के साथ डटे रहने की शक्ति प्रदान करता है।

ये प्रेरक विचार हैं विश्व विख्यात वक्ता, आईआईटी और आईआईएम जैसी उच्च शिक्षा में उपाधियां प्राप्त और दुनिया में सर्वाधिक बिक्री वाली पुस्तकों के लेखक, यू-ट्यूब एवं फेसबुक पर 30 लाख से अधिक फालोअर्स वाले वृंदावन के जगदगुरु कृपालु महाराज के शिष्य स्वामी मुकुन्दानन्दजी ने आज शाम प्रबुद्धजनों से खचाखच भरे गीता भवन सत्संग सभाग्रह में गीता भवन ट्रस्ट, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इंडिया इन्दौर शाखा एवं राधाकृष्ण सत्संग समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इसके पूर्व सुबह विमान से मुंबई से इंदौर आने पर गीता भवन में उनका गरिमापूर्ण स्वागत किया गया। गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन, रामविलास राठी, हरीश माहेश्वरी ने उनका स्वागत किया। राधे-राधे की धुन पर नाचते-गाते हुए अनेक बंधुओं ने उनकी अगवानी की। संध्या को गीता भवन में सत्संग के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। सत्संग का शुभारंभ भजन संकीर्तन के साथ हुआ।

       भागवत गीता से जीवन उपयोगी सीख विषय पर संबोधित करते हुए स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकला हुआ गीता का ज्ञान संसार के सर्वश्रेष्ठ योद्धा अर्जुन को दिया गया है, लेकिन असल में हम सब भी अर्जुन की ही तरह उस ज्ञान के पात्र हैं। जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब हम हताश, निराश और दुखी होकर अपनी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए कई तरह के जतन करते रहते हैं। भागवत गीता कोई ग्रंथ नहीं, चिंतामुक्त और लक्ष्ययुक्त जीवन जीने की मार्गदर्शिका है। गीता का दिव्य ज्ञान ही जीवन की पहेलियों को सुलझा सकता है। विज्ञान एवं टैक्नालॉजी के तमाम संसाधनों के बावजूद हम अपने मन को सुदृढ़ और स्थिर नहीं बना पा रहे हैं तो इसके लिए गीता का आश्रय लेना प्रासंगिक होगा। हम इस सनातन ज्ञान रत्न की वास्तविकता को जानकर अपने जीवन को अधिक उन्नत और सुखमय बना सकते हैं। इस अवसर पर स्वामी मुकुंदानंद द्वारा लिखित पुस्तक भगवद् गीता- द सॉग ऑफ गॉड का विमोचन भी किया गया।