राजा-प्रजा के बीच निष्कपट मैत्री का रिश्ता होना चाहिए-हंसदास मठ पर भागवत का समापन

राजा-प्रजा के बीच निष्कपट मैत्री का रिश्ता होना
चाहिए-हंसदास मठ पर भागवत का समापन

इंदौर, । सच्चा मित्र वही हो सकता है, जो हमारी कमियों एवं कमजोरियों से हमें आगाह करे। मित्रता में छल-कपट नहीं होना चाहिए। आज के युग में मित्रता को नए संदर्भों में परिभाषित करने की जरुरत है। राजा और प्रजा के बीच निष्कपट मैत्री का रिश्ता होना चाहिए। आज पूरे विश्व को कृष्ण-सुदामा जैसा मैत्री भाव चाहिए। कथा में हम तो बैठ लिए, अब कथा भी हमारे अंदर बैठना चाहिए।

       वृंदावन के भागवत किंकर आचार्य पं. कृष्णकांत शास्त्री ने आज बड़ा गणपति पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ के समापन सत्र में उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा में संध्या को कृष्ण-सुदामा मिलन का भावपूर्ण जीवंत प्रसंग भी मनाया गया। विद्वान वक्ता के श्रीमुख से कृष्ण-सुदामा मिलन का हृदय स्पर्शी चित्रण सुनकर अनेक अंखें छलछला उठीं। दोनों मित्रों के मिलन का दृश्य भी भक्तों को आल्हादित कर देने वाला था। मठ के पं. पवनदास शर्मा ने बताया कि प्रारंभ में हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य में पं. महेश शास्त्री, प्रवीण संग्राम शर्मा, श्रीमती वर्षा शर्मा, ज्योति शर्मा आदि ने व्यास पीठ का पूजन किया। संध्या को आरती में भी बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया।