श्रवण बाधित क्रिकेट खिलाड़ी कृष्णा गौड़ा ने अपनी शानदार खेल क्षमताओं के बल पर कई पुरस्कार, पदक और प्रमाण पत्र जीते

श्रवण बाधित क्रिकेट खिलाड़ी कृष्णा गौड़ा ने अपनी शानदार खेल क्षमताओं के बल पर कई पुरस्कार, पदक और प्रमाण पत्र जीते
नई दिल्ली, ( पीआइबी )/श्रवण बाधित युवा क्रिकेट खिलाड़ी कृष्ण कुमार गौड़ाने अपनी शानदार खेल क्षमताओं के बल पर कई पुरस्कार जीते हैं और साबित किया है कि उनकी सफलता की राह में कोई बाधा नहीं है यानी उनकी सफलता कोई रोक नहीं सकता है। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। इस खेल के प्रति उनके जुनून को भांपते हुएउनके माता-पिता ने उन्हें अपने क्रिकेट के सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हें अपने स्कूल से क्रिकेट खेलने का मौका मिला। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया। उनकी टीम 2019 में महाराष्ट्र डेफ टी-20 क्रिकेट में चैंपियन बनी। उन्हें कई पुरस्कार, पदक और प्रमाण पत्र मिले हैं। वह पिछले 15 साल से क्रिकेट खेल रहे हैं।

कृष्णा का जन्म 14 सितंबर 1997 को मुंबई में हुआ था। वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। उनके माता-पिता दोनों निजी क्षेत्र में काम करते हैं। वह एक छोटे भाई के साथ सबसे बड़ा बेटा है। वह जन्म से ही श्रवण बाधित है।


उन्होंने पहली कक्षा तक मुंबई के स्पीच एंड हियरिंग स्कूल में पढ़ाई की। बाद मेंउनके स्कूल के शिक्षक ने उनके माता-पिता को उन्हें एक सामान्य स्कूल में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया। उन्हें पोदार स्कूल, सांताक्रूज में भर्ती कराया गया। उन्होंने वहां 11वीं तक पढ़ाई पूरी की। वह अली यावरजंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग डिसएबिलिटी [एवाईजेएनआईएसएचडी (डी), मुंबई में डीटीपी पाठ्यक्रम के पूर्व छात्र हैं।

कृष्णा का मुख्य उद्देश्य और एकमात्र सपना क्रिकेट खेलना है। क्रिकेट खेलने के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें और सफल बनाया है। वह आगे बढ़ते गए और डेफ प्रीमियर लीग (डीपीएल) में खेलने के लिए चुने गए हैं। वह वर्ष 2022 में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। वह एयर इंडिया स्पोर्ट्स क्लब में शामिल हो गए हैं जहां उन्हें प्रशिक्षण और सही मार्गदर्शन मिलेगा।

खेलने के अलावा,वह अमेज़ॅन में नौकरी पाकर आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो गए हैं। अभी उन्हें 10,000/- रुपये प्रति माह का वेतन मिलता है। कार्यस्थल पर भी वह अपना हुनर ​​दिखा रहे हैं। काम के प्रति उनका समर्पण निश्चित रूप से उन्हें पेशेवर क्षेत्र में उच्च स्तर पर ले जाएगा।

यह नौजवान दूसरों के लिए रोल मॉडल बन सकता है। उन्होंने श्रवण बाधित समुदाय को दिखाया है कि ‘हां, बहरे भी कुछ कर सकते हैं’। वह निश्चित रूप से हमारे देश का प्रतिनिधित्व करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले हैं। एक दिन वह निश्चित रूप से भारत को गौरवान्वित करेंगे।