बदजुबानी के लिए चर्चित रहे थाना प्रभारी का आखिरकार स्थानांतरण

नवागत थाना प्रभारी के समक्ष चुनौतियां? अवैध शराब अवैध फैक्ट्री भी पुलिस के सामने चुनौती?

वाहिद खान पठान

रतलाम – ताल । वैसे हर अधिकारी की अपनी अपनी कार्यप्रणाली है और वह उसी के अनुसार ही अपने अपने कर्तव्य का पालन करते हैं, परंतु यदि बात जब पुलिस महकमे से जुड़ी हुई होकर हो तो आम जनता भी कहीं ना कहीं अधिकारी को लेकर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रुचि रखती है ?तो वही दिन रात तगारी फावडे से मजदूरी का काम करने वाला मजदूर अपनी मजदूरी के काम में व्यस्त रहता है? उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस विभाग में कौन सा अधिकारी आया और कौन सा अधिकारी गया? वह अपनी मजदूरी की दिनचर्या और परिवार में व्यस्त रहता है? हां इतना है कि उसके साथ कहीं ना कहीं अन्याय हो रहा हो तो न्याय की अपेक्षा अवश्य करता है कि उसे न्याय मिले परंतु यदि ताल की बात की जाए तो ताल पुलिस थाने में करीबन डेढ़ 2 साल से उप निरीक्षक रहे जिन्होंने प्रभारी पुलिस थाना प्रभारी का कार्य किया जो विभिन्न कार्य के कारण अपने कार्यकाल में सदैव चर्चित रहे जैसे कि कोरोना काल में जहा सख्ती कि जिसमें कुछ लोगों का मानना है कि शक्ति नहीं करती तो और भी अनगिनत लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़ता तो ही वहीं कुछ लोगों का मानना है कि आपकी लोगों के साथ बदजुबानी के कारण भी काफी चर्चा में रहे वही इसकी पीड़ा से सत्ताधारी दल के कई दिग्गज भाजपा नेता भी पीड़ित रहे परंतु उनकी पीड़ा यह रही कि जहां एक गुट थाना प्रभारी का ताल से स्थानांतरण करवाना चाहता था तो दूसरा गुट उसके समर्थन में आकर खड़ा हो गया? इसी प्रकार समीप लसुडीयाखेड़ी गांव के एक युवक द्वारा आपत्तिजनक सोशल मीडिया पर टिप्पणी आदि करने को लेकर पुलिस ने कार्रवाई की तो वही पीड़ित पक्ष ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए जो आज भी न्यायालय प्रक्रिया में जारी है और पुलिस के खिलाफ ताल से लेकर रतलाम तक ज्ञापन दिए गए तो वहीं इन ज्ञापनों के विरोध में व थाना प्रभारी के पक्ष में दूसरा संगठन खड़ा हो गया?
वही अभी हाल ही में कुछ समय पूर्व सावन सोमवार पर मनुनिया महादेव में भारतीय जनता पार्टी के शामगढ़ के भाजपा नेता के साथ बदतमीजी के आरोप भी लगे जिसे लेकर भी ताल में धरना प्रदर्शन तक हुआ ? जिस कारण भी ताल पुलिस काफी चर्चा में रही?
और सबसे बड़ी चर्चा तो यह रही कि एक छोटी सी शिकायत में वरिष्ठ अधिकारी संज्ञा ले लेते हैं तो यहां पर करीबन सैकड़ों शिकायतें होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाना भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस सभी का मुंह चिढ़ाने के समान है ? ताल नगर के नेताओं की यह समस्या रही कि चुनाव में जनता के सामने क्या मुंह लेकर जाएंगे?
सबसे ज्यादा अगर किरकिरी हुई तो ईन डेढ 2 सालों में तो आम जनता कहीं ना कहीं पीड़ित रही? क्या आप अपनी ताकत के बल पर हुकूमत कब तक करेंगे?
इसी प्रकार एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नेता वर्तमान में स्थानांतरण हो कर गए थाना प्रभारी के संपूर्ण कार्यकाल की ही जांच की मांग कर ली थी जिस पर जो जाँच भी जारी थी पर ना जाने उसका परिणाम क्या हुआ जो आज तक जनता को मालूम नहीं पड़ा?
जो भी विरोध करे उसे किसी भी प्रकार से दबाओ?
इतिहास गवाह है कि जहां-जहां भी राजनीति पुलिस और मीडिया एक हुआ है ?वहां वहां आम जनता का शोषण होना लाजमी है?

वहीं इसी प्रकार वर्तमान में नवागत थाना प्रभारी के समक्ष कई चुनौतियां हैं ?सूत्रों की माने तो ताल में नकली अवैध शराब का कारोबार कहीं ना कहीं फल फूल रहा है? जिसे अवैध शराब बनाने के लिए अन्य राज्यों से युवक आते हैं ?इसी प्रकार कच्ची शराब का भी क्षेत्र में काफी बिक्री हो रही है?
बहरहाल हम तो चाहते हैं कि पुलिस के प्रति अपराधियों में खौफ होना चाहिए और आम जनता मे उसका मान सम्मान बढे ?और यही वास्तविक पुलिसिंग है? किस काम से किसको खुशी हुई ?किसको गम हुवा? यह सभी जानते हैं?