पक्षियों के सरंक्षण के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पांच पक्षी तीर्थ बनाने की अनूठी योजना
इंदौर, . शहर के हरे भरे और पक्षियों के कलरव से गूंजते एवं चहचहाते कुछ क्षेत्रों में पक्षियों के लिए तीर्थ निर्माण की एक अभिनव योजना तैयार की गई है। इसके तहत पहला पक्षी तीर्थ पंचकुईया स्थित राम मंदिर परिसर में बनेगा जो 52 फीट ऊंचा और सात मंजिलों के घोंसले की शक्ल में होगा। यहां एक समय में एक हजार पक्षी परिवार अर्थात ढाई हजार पक्षी सुरक्षित और अनुकुल वातावरण में अपने प्राकृतिक स्वरूप में रह सकेंगे। प्रथम चरण में ऐसे पांच घरौंदे बनाने की योजना है।
पक्षी तीर्थ एवं पर्यावरण प्रेमी संगठन ने इस योजना के क्रियान्वयन की लगभग सभी तैयारियां कर ली है। संगठन के संयोजक किशोर गोयल एवं संजय बांकड़ा ने बताया कि देश के अनेक ऐसे शहरों मंे इस तरह के घांेसले का निर्माण किया गया है, जहां वृक्षों की अंधाधुंध कटाई या अन्य किसी कारण से शहरी क्षेत्र के वृक्षों का सफाया हो जाने से कबूतर, चिड़िया, तोते, कौए एवं अन्य पक्षियों के लिए रहने का कोई सुरक्षित ठौर ठिकाना नहीं बचा है। ऐसे पक्षियों की प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए इस तरह के घोंसले का निर्माण इंदौर में भी करने की योजना है। प्रथम चरण में पंचकुईया राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद एवं समाजसेवी नारायण अग्रवाल ने अनुकरणीय पहल करते हुए अपने आश्रम में 15 बाय 15 आकार की भूमि प्रदान की है जिस पर गुजरात के मौरवी स्थित श्रीराम कबूतर घर ट्रस्ट घोंसले का निर्माण करेगा।
उन्होने बताया कि इस तरह के सुंदर और आकर्षक घोंसले गुजरात एवं राजस्थान के अनेक शहरों तथा गांवों में बनाए गए हैं। रियायती मूल्य पर उक्त घोंसले के निर्माण पर करीब साढ़े पांच लाख रू. की लागत आएगी और गुजरात के कारीगर ही यहां आ कर 20 दिन में यह निर्माण कार्य पूरा कर देंगे। राजस्थान और गुजरात सरकार द्वारा ट्रस्ट के प्रमुख वाघलु भाई पटेल को सम्मानित भी किया जा चुका है। चूंकि शहर में अब तक पक्षियों के घरोंदे या घोसले के रूप में कोई निर्माण नहंी हुआ है और प्राकृतिक रूप से इस अंचल में अनेक पक्षी बहुतायत में पाए जाते हैं इसलिए संगठन ने यह पहल शुरू की है। जल्द ही पहला पक्षी तीर्थ पंचकुईया राम मंदिर पर बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और यदि शहर के अन्य पक्षी एवं पर्यावरण प्रेमी आगे आएंगे तो अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के पक्षी तीर्थ बनाए जा सकेंगे। इन घोंसलों में 52 फुट की ऊंचाई के साथ ही तलमंजिल पर 12 फीट का पेडस्टल भी बनाया जाएगा जहां जरूरत पड़ने पर पक्षियों के लिए दाना-पानी भी रखा जा सकेगा। ऐसे घोंसलों का मेंटेंनंेस भी कुछ विशेष नहीं है और स्थाई निर्माण से बारहो मास पक्षियों को मौसम की मार तथा अन्य खतरों से भी संरक्षण मिल सकेगा।