विवाह भारतीय संस्कृति एवंमर्यादा का आदर्श प्रतिंिबंब है

विवाह भारतीय संस्कृति एवंमर्यादा का आदर्श प्रतिंिबंब है
इंदौर, । बच्चों की पहली गुरू मां ही होती है। मां से मिले संस्कार ही जीवन को संवारते हैं। भारतीय नारी जहां होती है, वह जगह स्वर्ग बन जाती है। अब तो बेटियों का युग आ गया है। विवाह भारतीय संस्कृति और मर्यादा का आदर्श प्रतिबिंब है। रूक्मणी विवाह नारी के मंगल का सूचक है। हमारी संस्कृति में विवाह को भी संस्कार माना गया है। पूरब और पश्चिम की संस्कृति में यही अंतर है कि वहां विवाह कितने दिन टिकेगा, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं होती। हमारे यहां सात जन्मों का विधान है।

ये प्रेरक विचार हैं आचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होने बड़ा गणपति, पीलियाखाल स्थित हंसदास मठ पर श्रद्धासुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही मोक्षदायी भागवत कथा में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कथा के साथ ही सुबह निशुल्क तर्पण महोत्सव भी जारी है। आज भाजपा के प्रवक्ता उमेश शर्मा के आतिथ्य में भागवान हरि विष्णु का पूजन किया गया। आरती में हंसपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य एवं परशुराम महासभा के पं. पवनदास शर्मा के विशेष आतिथ्य में बड़ी संख्या में साधकों ने भाग लिया। आज भी 250 से अधिक साधकों ने तर्पण में शामिल हो कर अपने दिवंगत परिजनों के लिए शास्त्रोक्त विधि से तर्पण किया। अतिथियों का स्वागत मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेंद्र गर्ग,डाॅ. चेतन सेठिया, शंकरलाल वर्मा, अशीष जैन, माणकचंद पोरवाल आदि ने किया। दोपहर में मोक्षदायी भागवत में कृष्ण-रूक्मणी विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। व्यासपीठ का पूजन अमित- पिंकी सोनी, मनीष-रजनी सोनी, मुरलीधर धामानी, सुश्री किरण ओझा, सूरजसिंह राठौर आदि ने किया। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना राजेंद्र गर्ग ने।