तर्पण से मिलती है पूर्वजों, परिजनों और आने वाली पीढि़यों को भी पितरों के सम्मान व श्रद्धा की प्रेरणा

तर्पण से मिलती है पूर्वजों, परिजनों और आने वाली
पीढि़यों को भी पितरों के सम्मान व श्रद्धा की प्रेरणा

इंदौर, । माता-पिता द्वारा छोड़ी गई सम्पदा का भोग करने में हमें कोई संकोच नहीं होता, लेकिन विडंबना है कि उनके मोक्ष की कामना के लिए तर्पण या और कोई अनुष्ठान करने के लिए हमारे पास समय नहीं है। तर्पण भारतीय संस्कृति की प्राचीन एवं शास्त्रोक्त परंपरा है। भगवान राम ने भी अपने अयोध्या नरेश पिता का तर्पण किया था। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमारे पूर्वजों, मौजूदा परिजनों और आने वाली पीढियों को भी पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा के लिए प्रेरित करता है।
ये प्रेरक विचार हैं आचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होने बड़ा गणपति, पीलियाखाल स्थित हंसदास मठ पर श्रद्धासुमन सेवा समिति के तत्वावधान में हंसपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य एवं विधायक आकाश विजयवर्गीय के मुख्य आतिथ्य और परशुराम महासभा के पं. पवनदास शर्मा तथा पूर्व राज्य मंत्री पं. योगेंद्र महंत के विशेष आतिथ्य में चल रहे निशुल्क तर्पण अनुष्ठान में शामिल साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। अतिथियों ने भगवान हरिविष्णु का पूजन कर तर्पण अनुष्ठान का शुभारंभ कर आरती में भी भाग लिया। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेंद्र गर्ग, सीए सीताराम सोनी, जगमोहन वर्मा, माणकचंद पोरवाल, सूरजसिंह राठौर, गिरधर सोनी, एके पुण्डलिक, डाॅ. चेतन सेठिया , अवधूत पुण्डलिक, राजकुमारी मिश्रा, मीना नरेंद्र सोनी, मनोहरलाल वर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना राजेंद्र सोनी ने। विधायक आकाश विजयवर्गीय ने अनुष्ठान की व्यवस्थाओं को देख कर खुले मन से आयोजन की प्रशंसा की और कहा कि श्रद्धासुमन सेवा समिति का यह अनुकरणीय और वंदनीय पुरूषार्थ है। तर्पण में आज भी कोरोना त्रासदी में दिवंगतों, देश के स्वतंत्रता सेनानियों, शहीद जवानों, होलकर राज्य के शासकों एवं गौमाता के लिए भी मोक्ष की प्रार्थना करते हुए साधकों ने तर्पण किए। तर्पण स्थल पर गौ वंश के लिए हरा चारा तथा साधकों के लिए खीर प्रसाद की व्यवस्था भी की गई है।