प्रजातंत्र वहीं सफल होगा, जहां पारदर्शिता, नीति एवं मर्यादा में रहते हुए विधान का पालन हो प.पू. प्रवीण ऋषि म.सा.

प्रजातंत्र वहीं सफल होगा, जहां पारदर्शिता, नीति एवं मर्यादा में रहते हुए विधान का पालन हो
प.पू. प्रवीण ऋषि म.सा.

इंदौर, । गणतंत्र में वही व्यवस्था सफल और सार्थक होती है, जिसमें सबकी भावनाओं का सम्मान हो। गणतंत्र या प्रजातंत्र वहीं सफल होता है, जहां शासन व्यवस्था मंे पारदर्शिता और नीति एवं मर्यादा में रहते हुए विधान के अनुरूप फैसले किए जाएं। राजतंत्र में व्यक्ति विशेष की मर्जी चलती है जबकि गणतंत्र में जन भावनाओं के अनुरूप निर्णय होते हैं।
ये प्रेरक विचार हैं उपाध्यायश्री प.पू. प्रवीण ऋषि म.सा. के, जो उन्होंने आज एरोड्रम रोड़ स्थित महावीर बाग पर चल रहे चातुर्मास की धर्मसभा में महावीर स्वामी की शासन कथा के दौरान व्यक्त किए। वैशाली गणतंत्र प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां चारों ओर राजतंत्र व्यवस्था वाले प्रदेश थे। केवल वैशाली में ही गणतंत्र व्यवस्था थी जहां महावीर स्वामी अपना दूसरा चातुर्मास करने पहंुचे थे। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की मर्जी से चलने वाला शासन हिटलरशाही का प्रतीक होता है। हम आज भी स्वतंत्र भारत में रहते हुए भी व्यक्ति पूजा से परे नहीं रह पा रहे हैं। शासन व्यक्ति प्रधान नहीं, विधान प्रधान होना चाहिए। जो लोग देश मंे अहिंसा को गुलामी का कारण बताते हैं, वे यह भूल रहे हैं कि देश अहिंसा के कारण नहीं, जातिवाद और अपने ही लोगों को अपने साथ नहीं रखने के कारण गुलाम हुआ। अंग्रेज और मुस्लिम मुट्ठीभर थे लेकिन जातिवाद के कारण भारतीय समाज व्यवस्था मंे सेंध लगाकर जातिवाद के कारण समाजों को तोड़ा गया। आज भी घर-घर में भाई-भाई, बाप-बेटे, सास-बहू और देवरानी-जेठानी के बीच भावनात्मक हिंसा का जोर ज्यादा है। श्रावक के लिए भावनात्मक हिंसा नहीं होना चाहिए। गुंडे को शास्त्र की नहीं, शस्त्र की भाषा ही समझ में आती है। भगवान ऋषभ देव ने सबसे पहले कुर्सी और धर्म की नहीं, शस्त्र एवं युद्ध की कला सिखाई थी।
संचालन जिनेश्वर जैन ने किया और आभार माना संतोष मामा ने।