प्रणाम में जुड़े हाथों से ज्यादा वंदनीय वे हाथ हैं, जो किसी की आंखों के आंसू पोंछते हैं – प्रवीण ऋषि

प्रणाम में जुड़े हाथों से ज्यादा वंदनीय वे हाथ हैं, जो
किसी की आंखों के आंसू पोंछते हैं – प्रवीण ऋषि

इंदौर, । एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग पर चल रहे चातुर्मास में पर्युषण के छठे दिन की धर्मसभा में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि म.सा ने दोस्ती के तीन महत्वपूर्ण सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि प्रणाम में जुड़े हाथों से ज्यादा वंदनीय और पूजनीय वे हाथ हैं जो किसी की आंखों के आंसू पोंछते हैं। दोस्ती उनसे करना चाहिए, जो किसी भी क्षेत्र में हमसे ज्यादा श्रेष्ठ और संपन्न हैं, दोस्ती में अपने से जुड़े लोगों की मदद का भाव होना चाहिए और जिनके साथ हमारी वैचारिक समता नहीं है, उनके प्रति तटस्थ भाव रखना चाहिए।
महावीर बाग में चल रहे स्थानकवासी जैन समाज के पर्युषण पर्व में प्रतिदिन अंतगड सूत्र और कल्प सूत्र के वाचन के अलावा जीवन से जुड़े ज्वलंत विषय पर उपाध्यायश्री के प्रवचनों की अमृत वर्षा हो रही है। आज ‘मैत्री में सजगता जरूरी’ विषय पर अपने आशीर्वचन में उपाध्यायश्री ने कहा कि भगवान बनना है तो कृपा करना भी सीखना पड़ेगी। कमजोर की मदद करने पर हमारे मन में खुशी होना चाहिए। ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति यदि एक ईंट भी उठाकर इधर से उधर रख देता है तो उसके मातहत लोग भी वैसा ही करेंगे। श्रेष्ठीजन यदि धर्म के साथ नहीं जुड़ते हैं तो आम लोगों में नकारात्मक संदेश जाएगा। हम यदि भगवान नहीं बन सकते तो कम से कम शैतान भी नहीं बनें। जिनके मन की संवेदनाएं घायल हो गई हैं वे मन के कुष्ठ रोगी हैं। दुखी व्यक्ति हमें भगवान बनने का मौका देता है। मदद पाने वालों की आंखों से जो अभिषेक होता है, उस प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं हो सकती। दोस्त दुखी रहे और हम खुशियां मनाएं तो यह दोस्ती के नाम पर कलंक है। ऐसा कृत्य दोस्त के जख्मों पर नमक लगाने जैसा है। दोस्त पीड़ा में है और हम क्रीड़ा करें तो यह उचित नहीं हैं। जब तक हमारे बीच का कोई भाई दुखी है, तब तक हमें चैन से सोने का अधिकार नहीं होना चाहिए। इसी उद्देश्य से गौतम निधि की स्थापना की जा रही है। कोविड काल में जिन बंधुओं ने तन-मन-धन से सहयोग दिया है, उनका सार्वजनिक अभिनंदन होना चाहिए। प.पू. तीर्थेश ऋषि म.सा., महासती आदर्श ज्योति म.सा. एवं आत्मज्योति म.सा. ने भी संबोधित किया।
पर्युषण पर्व के दौरान चल रहे आवासीय शिविर में भी नियमित रूप से त्याग, संयम और साधना से परिपूर्ण गतिविधियां निर्बाध जारी हैं। सुबह एवं दोपहर में उपाध्यायश्री एवं अन्य भगवंतों के प्रवचनों के अलावा महिलाओं के लिए शिविर, प्रश्न मंच एवं शनिवार-रविवार को युवाओं तथा महिलाओं के लिए जीवन से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम भी हो रहे हैं।