महावीर बाग में महावीर जन्म महोत्सव में उमड़ा श्वेत एवं केशरिया परिधानों में सजा सैलाब

महावीर बाग में महावीर जन्म महोत्सव में उमड़ा
श्वेत एवं केशरिया परिधानों में सजा सैलाब

 

इंदौर, । एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग आज दिनभर भगवान महावीर के जन्म वाचन महोत्सव का साक्षी बना रहा। सुबह उपाध्यायश्री प्रवीण ऋषि म.सा. की निश्रा में अंतगड़ एवं कल्पसूत्र का वाचन हुआ, तो दोपहर मंे जन्म वाचन महोत्सव की धूम बनी रही। महिला-पुरूषों के अनुशासित एवं कोरोना प्रोटोकाल के पक्षधर सैलाब ने मानो महावीर बाग के क्षेत्रफल को भी छोटा कर दिया था। आनंद तीर्थ अर्हम गर्भ साधना टीम ने अपनी लघु नाटिका का मंचन कर प्रभु महावीर के जन्म प्रसंग को जीवंत बना दिया था। श्वेत एवं केशरिया परिधानों में सजे जनसैलाब से लबरेज इस महती धर्मसभा में उपाध्यायश्री ने समाज की संस्कृति को सुदृढ़ बनाने हेतु तीन अभिनव संकल्प भी दिलाए। नवकार मंत्र की साक्षी में उन्होंने समाज का आव्हान किया कि पर्युषण के इस पावन पर्व पर हम न तो किसी तरह के गलत कृत्य करेंगे, न ही किसी और से करवाएंगे और गलत काम करने वालों को करने भी नहीं देंगे।
महावीर बाग पर गत चार सितंबर से चल रहे स्थानकवासी जैन समाज के पर्युषण महापर्व का मुख्य उत्सव आज मनाया गया। प.पू. तीर्थेश ऋषि म.सा., महासती आदर्श ज्योति म.सा. एवं आत्मज्योति म.सा. ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से नेमनाथ जैन, अचल चौधरी, रमेश भंडारी, जिनेश्वर जैन, प्रकाश भटेवरा, विमल चौरडिया, सुमतिलाल छजलानी, सतीशचंद्र तांतेड़, अभय झेलावत, गजेंद्र बोडाना, गजेंद्र तांतेड़, वीरेंद्र कुमार जैन, संतोष जैन, शैलेष निमजा, टी.सी. जैन, राजेंद्र महाजन आदि ने सभी श्रावकों की अगवानी की। आनंद तीर्थ महिला परिषद के मार्गदर्शन में अर्हम गर्भ साधना टीम ने महावीर जन्म की जीवंत लघु नाटिका का मंचन कर महावीर बाग को कुछ समय के लिए तीर्थ में बदल दिया। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एवं विधायक रमेश मेंदोला भी जन्म वाचन महोत्सव के साक्षी बने। पूर्व पार्षद दीपक जैन टीनू एवं युवा कार्यकर्ताओं ने स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। तपस्वियों का सम्मान भी किया गया। परिषद की ओर से सुनीता छजलानी, प्रमिला डागरिया, शोभना कोठारी एवं प्रवीणा जैन ने संतों की अगवानी की। समाजसेवी हस्तीमल झेलावत ने विभिन्न सेवा प्रकल्पों की जानकारियां दी। आभार माना संतोष जैन ने।
उपाध्यायश्री ने ‘आज के परिपेक्ष्य में हमारा सामाजिक दायित्व’ विषय पर अपने आशीर्वचन में जहां समाज की अनेक विकृतियों की ओर ध्यानाकर्षण किया, वहीं उन पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि समस्याएं हमेशा कर्मभूमि में ही होती हैं, भोग भूमि में नहीं। दिनों दिन समाज मंे कुछ ऐसी विकृतियां देखने-सुनने को मिल रही हैं कि उनका उल्लेख करने में भी संकोच होता है। रोजाना वीडियो गेम की लत में फंसकर युवाओं द्वारा आत्महत्या की खबरें पढ़ने को मिल रही है। पच्चीस बरस पहले दहेज, प्रदर्शन, आडंबर आदि समस्याएं ही थी लेकिन अब उनका स्वरूप बहुत गंभीर हो गया है। चिंता यह भी है कि इनके समाधान के लिए समाज के जिम्मेदार लोग दायित्व लेने को आगे नहीं आ रहे हैं। हम संघ और समाज को भगवान के समकक्ष मानते हैं। जो जिम्मेदार नहीं बन सकता, वह जैन हो ही नहीं सकता। जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने वाले को जैन नहीं कह सकते। दरअसल, हम बिना मंथन के मक्खन और घी चाहते हैं। जिम्मेदारियों से मंुह मोड़ने से समाधान नहीं होगा। महावीर के रास्ते पर वही चल सकता है, जो जोखिम को जानते हुए भी चलता है।