नवकार महामंत्र की साक्षी में सैकड़ों बंधुओं ने संकल्प
लिया –
इंदौर । एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग, आनंद समवशरण पर आज से स्थानकवासी जैन समाज के पर्युषण महापर्व का शुभारंभ उपाध्यायश्री प.पू. प्रवीण ऋषि म.सा. के पावन सान्निध्य में हुआ। इस अवसर पर प्रवीण ऋषि म.सा. ने उपस्थित समाजबंधुओं को नवकार महामंत्र की साक्षी में संकल्प दिलाया कि आज से किसी भी घर में अशुभ शब्दों का उच्चारण नहीं होगा। घर के बच्चों के लिए किसी भी तरह की बददुआ भरे शब्दों का प्रयोग नहीं करने का संकल्प भी दिलाया गया। उपाध्यायश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम एक-दूसरे की बातों को नहीं सुनते। हमारे बच्चों की समस्याएं सुनने के लिए हमारे पास समय नहीं है। यही कारण है कि बेटे-बेटियों को बाहर जाकर दिल लगाना पड़ रहा है। हमारे घर की छत, आंगन और दीवारें किसी भी तरह की बददुआओं से मुक्त रहना चाहिए।
श्री वर्धमान श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति के तत्वावधान में आज महावीर बाग पर आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व का शुभारंभ सुबह आवासीय शिविर से हुआ। प्रारंभ में ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति की ओर से नेमनाथ जैन, अचल चौधरी, रमेश भंडारी, जिनेश्वर जैन, सतीशचंद्र तांतेड़, प्रकाश भटेवरा, सुनील जैन लब्धी, शैलेष निमजा, संतोष जैन, टी.सी. जैन, राजेंद्र महाजन, अभय झेलावत, गजेंद्र बोडाना, पर्युषण व्यवस्था समिति के संयोजक विमल चौरड़िया, पीयूष जैन, सुनीता छजलानी, सुवर्णा ठाकुरिया, नीरा मकवाना आदि ने सभी श्रावकों की अगवानी की। इस शिविर मंे सभी उम्र के महिला-पुरूष भाग ले रहे हैं जो सुबह 5.30 बजे से लेकर रात 10 बजे तक यहीं रहकर प.पू. प्रवीण ऋषि, तीर्थेश ऋषि एवं आदर्श ज्योति मसा की निश्रा में त्याग, संयम एवं साधना के मार्ग पर चल रहे हैं। आज महावीर बाग परिसर में आनंद तीर्थ महिला मंडल द्वारा आकर्षक झांकी का निर्माण भी किया गया था। इसके पूर्व प.पू. तीर्थेश ऋषि ने अंतगड सूत्र एवं कल्प सूत्र का वाचन किया। धर्मसभा को आदर्श ज्योति म.सा. ने भी संबोधित किया। संचालन जिनेश्वर जैन ने किया और आभार माना संतोष जैन मामा ने।
सुबह उपाध्यायश्री ने ‘सुनने की कला’ विषय पर अपने भावपूर्ण आशीर्वचन में कहा कि आज हर किसी की एक ही शिकायत रहती है – मेरी कोई सुनता नहीं। सास की बहू से और बहू की सास से या पिता की पुत्र से और पुत्र की पिता से यही शिकायत है। नहीं सुनना हमने अपना अधिकार मान लिया है। दरअसल, जिस श्रवण से हमें पाप-पुण्य, समस्या-समाधान और गुरू-गुंडे के बीच अंतर का बोध हो जाए, वही श्रवण सार्थक होता है। यदि यह बोध नहीं हुआ तो हमारा श्रवण निरर्थक ही कहा जाएगा। सुनने का सबसे पहला अधिकार महावीर स्वामी ने दिया। उनके पहले तक धर्म सुनने का अधिकार केवल ब्राम्हणों को ही था। यदि शूद्र सुन लेता तो उसके कानों में पिघला हुआ शीशा डाल दिया जाता था। महावीर ने धर्म को जनता की भाषा में बोलना शुरू किया। सुनने की कला जिसके पास आ गई, उसे बहुत कुछ मिल जाया करता है। आज हमारे घर-परिवारों में किसी के पास बच्चों की बातें सुनने का समय ही नहीं है। मम्मी-पापा को फोन पर बात करने से समय नहीं मिलता। बेटे-बेटियों की बातें नहीं सुनने का ही परिणाम है कि वे घर के बाहर जाकर दोस्तों से दिल लगाते हैं। आज से ही आप सबको संकल्प लेना है कि अब बच्चों के प्रति मूर्ख, नालायक और बददुआ देने जैसे अशुभ शब्दों का उच्चारण नहीं करेंगे। बच्चों को डांटने-फटकारने के समय भी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे जिनसे बददुआओं का बोध होता हो। आप भले ही उपवास, व्रत नहीं करें लेकिन अशुभ शब्दों का उपयोग बिल्कुल बंद कर दीजिए। उपाध्यायश्री ने नवकार मंत्र की साक्षी मंे यह संकल्प दिलाया तो उपस्थित सैकड़ों महिला-पुरूषों ने हाथ जोड़कर इस संकल्प को स्वीकार किया।
घर-घर हुई पर्युषण महापर्व की स्थापना – स्थानकवासी जैन समाज के इतिहास में शहर में पहली बार आज गणेशोत्सव की तर्ज पर पर्युषण महापर्व की स्थापना भी घर-घर में की गई। संयोजक विमल चौरडिया ने बताया कि लगभग 500 परिवारों ने इसकी तैयारियां की थी। पर्युषण के लिए बनाए गए ‘लोगो’ की घर-घर में स्थापना और सजावट आज से शुरू हो गई है। इस दौरान पहली बार प्रतिक्रमण भी ऑनलाईन हुआ।
आवासीय शिविर शुरू – महावीर बाग में आज से आठ दिवसीय आवासीय शिविर भी शुरू हो गया है जिसमें 108 आराधक वहीं रहकर सुबह 5.30 बजे से रात 10 बजे तक संयम, त्याग और साधना की दिनचर्या बिताएंगे। इनमें 15 वर्ष से लेकर 75 वर्ष आयु तक आराधक शामिल हैं। महावीर बाग में रहते हुए ही सभी आराधक अपने सामर्थ्य के अनुसार एकासना, तेला, अठई, आयम्बिल आदि तपस्या भी कर रहे हैं।