पर्युषण मतलब स्वयं को चारों ओर से धार्मिक भावों से जोड़कर आत्मसाधना के मार्ग पर प्रवृत्त होना

पर्युषण मतलब स्वयं को चारों ओर से धार्मिक भावों
से जोड़कर आत्मसाधना के मार्ग पर प्रवृत्त होना

इंदौर,। श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व का शुभारंभ शुक्रवार 3 सितंबर से होगा। स्थानकवासी जैन श्वेतांबर समाज अपना पर्युषण 4 सितंबर से शुरू करेंगे। इस दौरान नवकार परिवार के सदस्य एवं कल्याण मित्र सदस्य शहर के अनेक श्रीसंघों में अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।
नवकार परिवार के प्रवीण गुरूजी एवं महेंद्र गुरूजी ने बताया कि पर्युषण का अर्थ है – परि याने चारों ओर तथा उषण का मतलब है धर्म की आराधना। सीधे शब्दों में पर्युषण का मतलब यह हुआ कि चारों ओर से धर्म की आराधना करना। सांसारिक जीवन से निरूक्त होकर आत्मसाधना के भावों से धर्म की आराधना में जुट जाना ही पर्युषण महापर्व है। पर्युषण के ये आठ दिन जिसे अष्ठान्हिका भी कहा जाता है, के प्रथम दिन हमें पांच कर्तव्यों का पालन करने का महत्व समझाया जाता है – अहिंसा – किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म और वचन से कोई नुकसान न पहुँचाना। साधर्मिक भक्ति – अपने स्वधर्मी भाई की सेवा मे सदैव तत्पर रहना, क्षमापना – क्रोध, मान, माया, लोभ, राग-द्वेष के वशीभूत किये गए दुष्कृत स्वभाव के लिए क्षमा मांगना व औरों को क्षमा करना, अट्ठम – इन आठ दिनों मे कम से कम तीन उपवास करना। चैत्य परिपाटी अर्थात जिनालयों मे जाकर प्रभु दर्शन मे लीन होना। ये पांच कर्तव्य हमें याद दिलाते हैं कि हमें क्षमा भाव से धर्मलीन होकर तप आराधना करके पर्युषण मनाना चाहिए।
दूसरे दिवस के प्रवचन मे हमें वर्ष भर मे 11 कर्तव्यों का पालन करना सिखाया जाता है व तीसरे दिन पौषध व्रत की बात आती हैं व अंत के 5 दिन कल्पसूत्र के प्रवचनो मे 24 तीर्थंकर भगवान का जीवन चरित्र व उनके पश्चात हुए गुरुभगवन्तो का जीवन चरित्र सुनाया जाता है। भगवान महावीर का जन्म वाचन भी बड़े ही हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी तरह धर्मनिष्ठ भावों के साथ आराधना करते करते पर्युषण का अंतिम दिवस आता है, जब पूरा जैन समाज सम्मिलित होकर भगवान के वचनों का गुरुभगवन्त के मुख से श्रवण करतेे हैं। संध्या के समय समस्त जैन समाज एकत्रित होकर प्रतिक्रमण अर्थात पापों से पीछे हटने की क्रिया करते करते हृदय में मैत्री लिए क्षमा के भावो से स्वयं से हुई सभी गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा मांगते हैं और इस तरह ये पर्युषण महापर्व क्षमा गुण को हृदय मे धारण करके अपनी पूर्णता को प्राप्त करता है और पर्युषण महापर्व की क्षमा आदि गुणों से युक्त यह आराधना मोक्ष द्वार को खोलने वाली बनती है। नवकार परिवार के सदस्य इस दौरान शहर के सभी जैन श्रीसंघों मंे पहंुचकर विभिन्न सेवा कार्यों में भागीदार बनेंगे।