शराब और पाप की होम डिलेवरी हो रही है तो अब पर्युषण महापर्व को भी घर-घर में स्थापित करें

शराब और पाप की होम डिलेवरी हो रही है तो अब
पर्युषण महापर्व को भी घर-घर में स्थापित करें

इंदौर, । विडंबना है कि कलियुग में पाप और शराब की होम डिलेवरी हो रही है। पोर्नोग्राफी भी घर के साथ आपके मोबाइल और कमरों तक पहंुच गई है। पहले थिएटर देखने घर के बाहर जाते थे, अब घर के कमरों मंे ही थिएटर बन गए हैं। पर्युषण का महापर्व दुनिया का एकमात्र ऐसा अवसर है, जब क्षमापना, मैत्री और इंसानियत के संदेश जन-जन तक पहंुचते हैं। अन्य किसी भी संप्रदाय में ऐसी विलक्षणता देखने को नहीं मिलती। पर्युषण जैसे महापर्व को आज स्थानक और मंदिरों से बाहर लाकर अपने घर-घर, दफ्तर और प्रतिष्ठानों तक स्थापित करने की जरूरत है।
ये प्रेरक विचार हैं उपाध्याय प्रवर प.पू. प्रवीण ऋषि म.सा. के, जो उन्होंने आज एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग पर चल रहे चातुर्मास की धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सभा शुभारंभ के पूर्व जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में उपाध्यायश्री ने लगभग डेढ़ सौ युगल साधकों के नवकार कलशों को कल्याणकारी मंत्रों की ऊर्जा से परिपूर्ण किया। उन्होंने कहा कि आज समाज को ऐसे महापर्व की जरूरत है जो बुराईयों को दूर कर हमारी नई पीढ़ी को संस्कारों से समृद्ध बनाएं। दोस्ती को धर्म की शर्त और क्षमा को प्रार्थना बनाने की बात कहीं और नहीं हो सकती। संवतसरी पर क्षमापना का अदभुत समन्वय पर्युषण में देखने को मिलता है। जो व्यक्ति अपने बैर भाव को एक वर्ष से आगे तक ले जाता है, उसका आगे भला नहीं हो सकता। आज सामाजिक बुराईयां इस कदर हावी हैं कि पाप और शराब की होम डिलेवरी होने लगी है। पोर्नोग्राफी घर के साथ स्मार्ट फोन के जरिए कमरों तक पहंुच चुकी है। मेरा सुझाव है कि अब जो नए घर बनाएं जाएं, उनमें बच्चों के कमरे इस तरह के हों कि उन्हें अंदर से बंद नहीं किया जा सके। पहले बच्चे बाहर जाकर बिगड़ते थे, अब उन्हें घर के अंदर ही सारी बुराईयां कमरे मंे मिलने लगी हैं। ऐसे दौर में जरूरत है पर्युषण जैसे महापर्व को घर-घर में स्थापित करने की, जहां क्षमा, मैत्री और इंसानियत की भावना मजबूत हो सके।
प्रारंभ में श्री वर्धमान श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ट्रस्ट एवं चातुर्मास आयोजन समिति की ओर से अचल चौधरी, रमेश भंडारी, प्रकाश भटेवरा, जिनेश्वर जैन, संतोष जैन, सुमतिलाल छजलानी, विमल चौरड़िया, सुनीता छजलानी, सुषमा जैन, सुवर्णा ठाकुरिया एवं नीरा मकवाना ने सभी श्रावकों की अगवानी की। उपाध्यायश्री ने पर्युषण पर्व पर घर-घर स्थापित किए जाने वाले ‘लोगो’ का प्रदर्शन करते हुए कहा कि यह बिना किसी पूजन सामग्री या हार-फूल के अपने घरों में स्थापित करें और पर्युषण पर्व को अपने परिवार के साथ बैठकर मनाएं। आज धर्मसभा में देशभर से आए उन प्रशिक्षकों ने भी अपने संस्मरण सुनाएं, जिन्होंने अर्हम विज्जा ध्यान साधना प्रशिक्षण शिविर में भाग लेकर अनेक असाध्य रोगों को भगाया है। इसके तहत रिसर्च प्रोजेक्ट चलाने वाली सपना कोठारी ने डायलिसिस सेंटर के बारे में संक्षिप्त कार्ययोजना भी बताई। इस सेंटर की रिपोर्ट अमेरिकन जरनल में भी प्रकाशित हो चुकी है। इनकी यहां 72 घंटे की ट्रेनिंग उपाध्यायश्री के सान्निध्य में चल रही है।