जीवन में मजबूत रिश्तेदारी उतारने के लिए
हनुमानजी के चरित्र को आत्मसात करें
इंदौर, । हम लोग रिश्ते निभाने के लिए बाहर की ओर दौड़ लगाते हैं लेकिन हमारी स्वयं से भी बहुत मजबूत रिश्तेदारी होना चाहिए। इसके लिए हमें थोड़ा भीतर उतरना पड़ेगा। भीतर उतरने का मतलब स्वयं को जानना, अपनी आत्मा को स्पर्श करना। जीवन में मजबूत रिश्तेदारी कैसे उतरेगी और स्वास्थ्य से रिश्ते कैसे रखे जाएं, इसके लिए तीन बातें जरूरी हैं – निःस्वार्थ भाव, गरिमा और पारदर्शिता। रिश्तों की गरिमा को समझना हो या रिश्ते निभाना सीखना हो तो हनुमानजी को अपने जीवन से जोड़ना पड़ेगा। हनुमत चरित्र हमें यही सिखाता है।
प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजयशंकर मेहता ने आज शाम जाल सभागृह में रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर हनुमान चालीसा महापाठ के दौरान उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। समाजसेवी एवं उद्योगपति विधिप्रकाश मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में दीप प्रज्जवलन के साथ महापाठ का शुभारंभ हुआ। आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष ओमप्रकाश पसारी, कैलाशचंद्र खंडेलवाल, रामविलास राठी, सी.के. अग्रवाल, मुरली सोनी, ओमप्रकाश मुछाल, राधेश्याम सोमानी, रतनलाल माहेश्वरी, प्रकाश सोडानी एवं रोहित सोमानी ने प्रारंभ में पं. मेहता एवं अतिथियों का स्वागत किया।
पं. मेहता ने किष्किंधा धाम पर आधारित विषय ‘रिश्तों का स्वास्थ्य – स्वास्थ्य के रिश्ते’ पर अपने धाराप्रवाह उद्बोधन में कहा कि जीवन में कई बार रिश्तों में झगड़े की नौबत आती रहती है। झगड़े में मनुष्य सबसे पहले वाणी से गिरता है, फिर शरीर आक्रामक होता है। यदि झगड़े की नौबत आए तो चार बातों पर ध्यान देना चाहिए। पहला झगड़ा होता है विचार के स्तर पर, जहां हम सलाह और समझाइश दे रहे होते हैं। दूसरा झगड़ा भावना के स्तर पर होता है, इसमें प्रेम और संवेदना होती है। तीसरा झगड़ा क्रोध के स्तर पर होता है जहां हम असहमत होते हैं और चौथा झगड़ा होता है सूचना देने में। यहां हम कोई संदेश या आदेश दे रहे होते हैं। हनुमानजी से सीखना चाहिए कि इन चारों स्थितियों में हम मन और वाणी से प्रसन्न होकर बोल सकते हैं। ईश्वर ने हमें मनुष्य बनाकर मधुर वाणी बोलने का अवसर दिया है और मुस्कुराने का भी, लेकिन हम उस भगवान को ही भूल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।
पं. मेहता ने कहा कि कुशल धावक अपने पीछे पदचिन्ह नहीं छोड़ता। अच्छा चोर कोई निशानी नहीं छोड़ता, अच्छा तैराक भी कोई लहरे नहीं छोड़ता लेकिन रिश्ते निभाने वाले अपने पीछे हमेशा सुगंध छोड़ते रहते हैं। जब एक रिश्ता पूरी ताकत से निभा रहे हों, तो दूसरे रिश्ते को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बुरे लोगों के जीवन में घटनाएं ज्यादा होती है, रिश्ते कम, लेकिन भले लोगों के जीवन में घटनाएं कम होती है और रिश्ते ज्यादा बनते हैं। जिसके भीतर आनंद होगा, वही रिश्ते निभा सकेगा, वरना सब सौदा होकर रह जाएगा।
महापाठ आयोजन समिति के ओमप्रकाश पसारी ने बताया कि जीवन प्रबंधन समूह तथा स्थानीय महापाठ समितियों द्वारा पूरे वर्षभर में देश के 8 नगरों में किए जाने वाले हनुमान चालीसा महापाठ की श्रृंखला में यह 58 वां तथा इंदौर में होने वाला 10वां आयोजन था। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सुभारती टीवी चैनल सहित फेसबुक एवं यू ट्यूब पर भी किया गया। इनके माध्यम से देश-दुनिया के करोड़ों हनुमान भक्तों ने एक ही समय पर हनुमान चालीसा का सामूहिक जप किया।