शिव पुराण भक्ति और मुक्ति का ग्रंथ – पं. राहुल कृष्ण

शिव पुराण भक्ति और मुक्ति का ग्रंथ – पं. राहुल कृष्ण


इंदौर, । अज्ञान, अहंकार और पाशविक प्रवृत्तियों का नाश करने के लिए शिव पुराण जैसे ग्रंथों का मनन और मंथन जरूरी है। शिव पुराण के श्रवण से भक्ति, भक्ति से प्रेम, प्रेम से सदभाव और सदभाव से भेदभाव मुक्त समाज का सृजन होता है। शिव का अर्थ ही कल्याण है। प्राणी मात्र के लिए कल्याण और मुक्ति की प्राप्ति शिव पुराण के श्रवण से ही संभव है। समाज में समता एवं त्याग की भावना तभी बढ़ेगी, जब हम शिव पुराण जैसे ग्रंथों के संदेशों को आत्मसात करेंगे। शिव पुराण भक्ति और मुक्ति का ग्रंथ है।
ये दिव्य विचार हैं भागवताचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के जो उन्होंने आज विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर संस्था श्रीराजवंश के तत्वावधान में चल रही शिव महापुराण कथा में शिव सहस्त्र नाम एवं शिवरात्रि महात्मय प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व रामदुलारी शुक्ला, राजेश्वरी तिवारी, नीता शुक्ला, पूनम तिवारी, मीना वाजपेयी, गीता शुक्ला, सीमा शुक्ला आदि ने व्यासपीठ एवं शिवपुराण का पूजन किया। कथा समापन प्रसंग पर द्वादश ज्योतिर्लिंग की जीवंत झांकी सजाकर 56 भोग भी समर्पित किए गए। आयोजन समिति की ओर से आचार्य पं. राहुल कृष्णा शास्त्री का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया। संचालन दीपम शुक्ला ने किया। इस मौके पर भगवान शिव से मालवांचल में सुखद वर्षा एवं कोरोना से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की गई।
पं. शास्त्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि शिव पुराण में प्राणी मात्र के अभ्युदय का भाव है। समाज में अनेक तरह की विसंगतियां कलियुग के प्रभाव के कारण बढ़ती जा रही है। हमारी नई पौध इन विसंगतियों में उलझकर संस्कार और संस्कृति से विमुख हो रही है। घर और परिवार बिखरने लगे हैं। इन्हें बचाने के लिए जरूरी है कि हम अपने बच्चों को धर्म ग्रंथों के माध्यम से सेवा, दया, करूणा और निर्भयता जैसे गुणों से परिपूर्ण बनाएं। सत्य की राह पर चलकर शिव की तरह कल्याणकारी और प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठता का लक्ष्य ही सत्यम, शिवम, सुंदरम् के सूत्र वाक्य को चरितार्थ बनाएगा।