ज्ञान और बुद्धि के साथ विवेक भी देते हैं गणेशजी

ज्ञान और बुद्धि के साथ विवेक भी देते हैं गणेशजी

इन्दौर, । भगवान गणेश प्रथम वंदनीय हैं। विघ्नहर्ता के रूप में देवता भी उन्हें मान्यता देते हैं। बिना गणेशजी की पूजा-आराधना के किसी शुभ संकल्प की पूर्ति नहीं हो सकती। गणेश सबसे सहज और सरल देवता है। शिव और पार्वती के पुत्र तो वे हैं ही, भारतीय समाज के जन-जन में भी स्थापित हैं। ज्ञान और बुद्धि के साथ विवेक देने वाले गणेश ही हैं। गणेशजी की आराधना कभी निष्फल नहीं होती।
ये दिव्य विचार हैं भागवताचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के, जो उन्होंने संस्था श्री राजवंश के तत्वावधान में विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर चल रही शिव महापुराण कथा में कार्तिकेय एवं गणेश जन्मोत्सव प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में कार्तिकेय एवं गणेशजी के जन्म पर उत्सव की जीवंत झांकी भी सजाई गई थी। प्रारंभ में आयोजन समिति के शुक्ला, तिवारी, वाजपेयी, द्विवेदी एवं दुबे परिवार की ओर से रामदुलारी शुक्ला, राजेश्वरी तिवारी, पूनम नवीन तिवारी, संस्कृति शुक्ला, किरण शुक्ला, श्रीराज, नेहा तिवारी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
समापन दिवस पर शिव परिवार की झांकी सजाई जाएगी। कथा एवं उत्सव कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए आयोजित किए जा रहे हैं।
पं. शास्त्री ने कहा कि वह जीवन जीवन नहीं जिसके पीछे मृत्यु न हो। इसी तरह वियोग के साथ संयोग और सुख के साथ दुख जुड़ा हुआ है। हमारी भक्ति में जिस दिन दृढ़ता आ जाएगी, उस दिन हमें इस आनंद की अनुभूति अवश्य होगी। हमें अपने आत्मस्वरूप का बोध होना चाहिए। इस बोध को भूल गए तो भटकना तय है। यह भटकाव परमात्मा की भक्ति और सत्संग से ही मिल सकता है। भगवान गणेश जन्म के पूर्व से ही विलक्षण रहे। पिता और माता के विवाह में पुत्र के पूजन का अनूठा उदाहरण मिलता है। देश में जितने मंदिर राम और कृष्ण के हैं, उससे भी अधिक गणेशजी के भी हैं।