श्रद्धा और विश्वास के बिना कोई पूजा सार्थक नहीं – आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री

श्रद्धा और विश्वास के बिना कोई पूजा सार्थक नहीं
आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री

इन्दौर, । जीवन में श्रद्धा और विश्वास के बिना किसी प्रार्थना, पूजा या अनुष्ठान की सार्थकता नहीं हो सकती। शिव और पार्वती श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक हैं। भोलेनाथ की आराधना कहीं भी, कैसे भी करें, हमेशा कल्याणकारी फल देती है। शिव सबसे सरल देव हैं जो केवल जल के अभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। जब तक प्रत्येक व्यक्ति में नारायण का अंश मानने की दृष्टि नहीं आती, हमारी साधना अधूरी ही रहेगी।
ये दिव्य विचार हैं भागवताचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के, जो उन्होंने विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर संस्था श्री राजवंश के तत्वावधान में चल रही शिव महापुराण कथा में व्यक्त किए। प्रारंभ में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आयोजन समिति की ओर से रामदुलारी शुक्ला, राजेश्वरी तिवारी, नीता शुक्ला, शुभम एवं दीपम शुक्ला एवं अन्य श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ का पूजन किया। पं. शास्त्री यहां 14 अगस्त तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 6 बजे तक कथामृत की वर्षा करेंगे। कथा के दौरान कार्तिकेय जन्म प्रसंग, तुलसी-जालंधर कथा, शिवरात्रि व्रत कथा, जप का महात्यम सहित भगवान शिवाशिव की आराधना से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या होगी।
पं. शास्त्री ने कहा कि देश, धर्म और ईश्वर के लिए बलिदान देने वाला अमर हो जाता है इसलिए धर्म और ईश्वर के प्रति दृढ़ता का भाव होना चाहिए। हम सब खाली हाथ आए हैं और वैसे ही जाएंगे भी। ईश्वर और धर्म हमेशा हमारे साथ रहते हैं। और कोई साथ दे या न दे, ईश्वर और धर्म मृत्यु के बाद भी हमारे ही साथ रहते हैं। संसार की किसी कामना के लिए धर्म का हनन हो तो वह पाप होता है लेकिन यदि ईश्वरीय कर्म करते हुए मर्यादा का उल्लंघन या ऐसा कुछ हो तो वह पुण्य बन जाता है। पाप का फल दुख है और पुण्य का सुख। पापकर्म भोगते समय मीठा होता है, जबकि पुण्य कर्म भोगते समय कड़वा।