आज जीवन के हर क्षेत्र में पूनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है “आचार्य रामानुज जी

मंदसौर । गुरु परंपरा सनातन काल से विद्यमान है, गुरु भक्त व भगवान के बीच माध्यम का कार्य करता है, इसलिए गुरु का महत्व सदैव रहता है, द्वारकाधीश से लेकर सनातन काल तक चली आ रही गुरु परंपरा ने ही हमारी सनातन संस्कृति को जीवित रखा है उपरोक्त उद्गार आचार्य श्री रामानुज जी ने मानवता मिशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किये ।
आपने कहा जीवन में अनैक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, गुरु के सान्निध्य में जीवन राह आसान हो जाती है, पूनर्मूल्यांकन से जीवन यात्रा सफल हो जाती है ।
हमारे अंदर सुचिता लाने की आवश्यकता है, गुरु के समक्ष समर्पण का भाव होना चाहिए, इससे हमारे अंदर छिपा अभिमान समाप्त हो जावेगा, किसी व्यक्ति का सम्मान स्वयं के सम्मान के समान है ।
इस अवसर पर मानवता मिशन के पदाधिकारियों, विभिन्न समाजों के प्रमुख जनों सहित आचार्य श्री के अनुयायियों ने उनकी चरण वंदना कर आशीर्वाद लिया ।