चातुर्मास जैसी तपस्या, साधना और उपासना जीवन  पर्यन्त चलते रहना चाहिए – अर्चपूर्णाश्रीजी म.सा.

चातुर्मास जैसी तपस्या, साधना और उपासना जीवन
पर्यन्त चलते रहना चाहिए – अर्चपूर्णाश्रीजी म.सा.


इंदौर, । चातुर्मास हमारे अंतर्मन के अंधकार को दूर करने का प्रकाश स्तंभ है। जो त्याग हम चातुर्मास के दौरान करते हैं, उसे जीवन भर के लिए अपनाने का प्रयास करें तो मनुष्य जीवन सार्थक बन जाएगा। चातुर्मास जैसी तपस्या, साधना और उपासना 4 माह के लिए ही नहीं, जीवन पर्यन्त चलते रहना चाहिए।
ये प्रेरक विचार हैं प.पू. अमिपूर्णाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या प.पू. अर्चपूर्णाश्रीजी म.सा. के, जो उन्होंने आज रतनबाग स्थित शंखेश्वर धाम पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इसके पूर्व अंबिकानगर एक्सटेंशन स्थित नरेंद्र बोथरा एवं डॉ. निपूर्ण बोथरा के निवास से बैंड-बाजों सहित मंगल प्रवेश जुलूस निकाला गया जो अंबिकापुरी से कान्यकुब्ज नगर, विद्याधाम के सामने से होते हुए रतनबाग श्रीसंघ, शंखेश्वर धाम पहुंचा। जुलूस में बड़ी संख्या में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मंगल कलशधारी महिलाएं, ध्वजाधारी महिलाएं, गरबा खेलते बालिकाएं तथा परंपरागत परिधान में महिला-पुरूष भी शामिल थे। शंखेश्वर धाम पर आयोजित स्वागत समारोह में विधायक संजय शुक्ला, पार्षद चंदगीराम यादव, पुष्पेंद्र शुक्ला पप्पी तथा विभिन्न समाजों और जैन श्रीसंघों के पदाधिकारियों ने प.पू. अर्चपूर्णाश्रीजी म.सा., पंक्तिपूर्णाश्रीजी म.सा., युक्तिपूर्णाश्रीजी म.सा. एवं सुक्तिपूर्णाश्रीजी म.सा. की अगवानी की। रतनबाग स्थित शंखेश्वर धाम पर चातुर्मास महोत्सव का शुभारंभ 23 जुलाई को सुबह 8.30 बजे से होगा।