सेलम/ इंदौर : कोरोना के कारण सेलम में उत्पादक केंद्रों पर अच्छी क्वालिटी के साबूदाने की कमी होने लगी थी, जिसके चलते भावों में तेज़ी हुई और एक बार को लगा था कि तेज़ी आगे भी एसी ही रहेगी परंतु कोरोना के मामलों में कमी आने की वजह से तमिलनाडु विशेषकर सेलम जिला में लॉक डाउन में कुछ राहत मिली है। आने वाले दिनों में कामगारों के यातायात की सुविधा मिलने से काम पर लौटने की संभावना है और जल्द ही उत्पादन अच्छी मात्रा में शुरू हो जायेगा।
एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनी साबु ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, सेलम के प्रबंध निर्देशक गोपाल साबु ने बताया कि साबूदाने की मांग वर्तमान में सामान्य है और तैयार स्टॉक से बाज़ार की जरूरतें पूरी हो रही हैं। आगामी श्रावण मास की खरीदी को देखते हुए मांग बढ़ने की पूरी सम्भावना है जिसकी आपूर्ति की तैयारियां शुरू हो रही हैं। इन सब कारणों से साबूदाने के भावो को लेकर अनुमान है कि फ़िलहाल बाजार स्थिर या स्टाक का मुनाफा पक्का करने वालों के कारण कुछ ठंडा रहना चाहिये। आफ-सीजन में अच्छे और हल्के मालों के भावों में मोटा फर्क देखने को मिल सकता है । टेपीयो का कंद की नइ फसल अक्टूबर-नवम्बर में आयेगी, उसमें भी जलवायु परिवर्तन से कुछ जगह फसल मुर्झा गइ है, अत: फसल कम आने की सम्भावना है ।
हल्दी का निर्यात बढऩे से दामों में तेज़ी आने की संभावना बाजार में हल्दी के भावों में तैयारी में मंदी का रूख देखने को मिल रहा है। हालांकि बाजार में हल्दी की मांग जारी है। श्री साबु को उम्मीद है कि आने वाले समय में हल्दी की मांग बाजार में बढ़ेगी। अनुमान है कि हल्दी की निर्यात मांग करीब 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान निर्यात में गिरावट आई थी। अब हमें निर्यात बढऩे की उम्मीद है। इससे हल्दी की कीमतों को अच्छा आधार मिलेगा। भारत विश्व में सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक देश है। दुनिया में होने वाले कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। भारत में हल्दी कई जगह पर होती है पर सेलम की हल्दी में प्रचूर मात्रा में करक्युमिन (औषधीय गुण) होने की वजह से विदेशों में इसकी माँग निरंतर बढती ही जा रही हैं। भारत में हल्दी का विभिन्न रूपों में निर्यात जापान, फ्रांस, यू.एस.ए., यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, नीदरलैंड, सउदी अरब एवं आस्ट्रेलिया को किया जाता है।
मोरधन मिलेट के भावों में पिछले पखवाड़े में करीब 10 रुपये प्रति किलो तक की तेज़ी
व्रत उपवास के अलावा अब सेहत के प्रति जागरूक परिवारों में विभिन्न प्रकार से मिलेट का उपयोग बढने की वजह से मोरधन तथा कोदो मिलेट के भावों में पिछले पखवाड़े में करीब 10 रुपये प्रति किलो तक की तेज़ी रही । श्री साबु ने बताया कि मोरधन की नई फसल सितम्बर में आयेगी । उत्तर भारत में व्रत उपवास के लिए भगर-मोरधन तथा कोदो मिलेट की माँग बढने से पहले से ही उच्च भावों पर होते हुए भी तत्काल में कोइ मंदी के आसार नही दिख रहे। माइनर मिलेट्स के एक पूर्ण और पौष्टिक खाद्य के रूप में स्थापित होने के साथ ही अब भगर-मोरधन, कोदो,कंगनी, झंगोरा और रागी मिलेट्स के अन्य विभिन्न रूपों में उपयोग जैसे बिस्कुट, ब्रेड, सेंवई इत्यादि के चलते माँग बदस्तूर बढती ही जा रही है। मिलेट्स की फसल से किसानों को भी बंजर जमीनों में वैकल्पिक खाद्यान्न को उपजाने का सुनहरा मौका मिल रहा है।
खोपरा बूरा की मांग बढ़ने की संभावना
भारत में अन्य देशों के मुकाबले नारियल के भाव तत्समय कम हैं । इसलिए कच्चे नारियल से बनने वाला भारतीय खोपरा बूरा की विदेशों में अच्छी माँग निकल रही हैं सो भाव फिलहाल यही बने रहने के आसार हैं । बारिश के कारण खोपरा बनने में भी समय लग रहा है । आगामी त्योहारों को देखते हुए नारियल की माँग बढने पर नारियल बूरा के भावों में बढ़त की संभावना है।