ग्लोबल फेटी लिवर दिवस 12 जून के अवसर पर गतिविधियों की गई

 रतलाम । नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज वर्तमान समय में एक प्रमुख जनस्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है। मध्यप्रदेश सरकार ने स्वस्थ यकृत मिशन के अंतर्गत इस दिशा में नवीन पहल की है, जिसका शुभारंभ दिनोंक 21 मई 2025 को महामहिम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संध्या बेलसरे ने बताया कि दिनांक 12 जून 2025 को “ग्लोबल फेटी लिवर दिवस” मनाया गया । अतः स्वस्थ्य यकृत मिशन के अंतर्गत ग्लोबल फेटी लिवर दिवस के उपलक्ष्य मेंआयुष्मान अरोग्य मंदिरों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों एवं जिला अस्पतालों पर नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के जांच शिविर आयोजित किए गए।
इन शिविरों में 30 वर्ष 65 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों की नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की जांच की गई । तथा जोखिम कारकों की पहचान और मूल्यांकन, समुदाय में यकृत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, संदिग्ध और पुष्ट मामलों के लिए रेफरल और फॉलोअप किया गया । मरीजों की जांच / परामर्श उपरान्त प्रविष्टी रजिस्टर पर की गई। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए घर-घर जाकर जानकारी प्रदान करने एवं स्क्रीनिंग अभियान चलाने हेतु निर्देशित किया गया है। इन प्रयासों के माध्यम से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, नियमित स्वास्थ्य जांच कराने और रोगों की प्रारंभिक पहचान के प्रति जागरूक किया गया। यदि किसी को नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) है, तो स्वस्थ आहार ले। प्रति दिन 3 से 4 भाग 500 ग्राम सब्जियाँ जिनमें हरी पत्तेदार सब्जियाँ भी सम्मिलित हों, तथा 2 से 4 भाग फल सेवन करें। तैलीय भोजन, मैदा और मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम करें। सोने से 3 घंटे पहले रात का खाना खाएँ। तेल का उपयोग 10% तक कम करें।
नियमित व्यायाम करे। सप्ताह में 150 मिनट व्यायाम करें जैसे तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, और तैराकी करे। सप्ताह में दो बार मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम शामिल करें। हर घंटे बैठने पर 5 मिनट का ब्रेक लें। योग और एरोबिक व्यायाम भी लाभकारी हैं। वज़न प्रबंधन करे अगर किसी का वजन ज़्यादा है तो 5-10% वजन कम करने का लक्ष्य रखें। (BMI ≥ 23kg/m2 धीरे-धीरे और स्थायी वजन घटाये । स्वस्थ वजन बनाए रखें। स्वस्थ आदतें अपनाए । शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करें। डॉक्टर द्वारा बताए गए अनुसार दवाइयाँ लें। नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से समय-समय पर संपर्क करते रहें।
नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से फॉलो-अप करें ।