रतलाम। संपूर्ण श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण के जीवन भर की लीलाओं का गुणगान है। सनातन सभ्यता और ऐतिहासिक पौराणिक कथाओं के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण ने मानव जाति के सफलतम जीवन के लिए मानवीय लीलाओं के माध्यम से जीवन के सूत्र स्थापित किया। जिन्हें अपना कर मानव जीवन सफल बनाया जा सकता है। अत्याचार, अनादर, शोषण और अमंगल के विरुद्ध प्रभु ने प्रेम सहिष्णुता सौहार्द और सद्भावना का शंखनाद किया, भगवान की संपूर्ण लीलाएं मानव जीवन के लिए उपदेश का दर्पण है। अच्छा क्या है, बुरा क्या है, पाप क्या है, पुण्य क्या है, अत्याचार क्या है, सद्भावना क्या है, शोषण अन्याय के विरुद्ध साहस और योजना बंद तरीके से कैसे स्थितियों का सामना किया जा सकता है यह संपूर्ण वृंदावन द्वारिका में घटित घटनाओं से प्रकट होता है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं भी संपूर्ण मानव जाति के लिए एकता के सूत्र में बांधने का स्पष्ट संदेश देती है। ग्वालो के संग खेलने और उन्हें अपना मित्र बनाकर रखना, विपरीत परिस्थितियों में साथ नहीं छोड़ना यह इतना सहज और सरल नहीं होता है। लोगों को जोड़ने के लिए स्वयं पहल करना पड़ती है। भगवान श्री कृष्ण ने चाहे पुतना का वध किया हो या राक्षसी प्रवृत्तियों को नष्ट किया हो, कंस के अत्याचारों से मथुरा और समूची प्रकृति की रक्षा की हो, मनुष्यों की रक्षा के लिए विपदा और कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखने का संदेश देने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया हो। ऐसे महाप्रभु कृष्ण सनातनियों के साथ-साथ संपूर्ण पृथ्वी पर हमेशा-हमेशा के लिए पूजनीय रहेंगे ।
उपरोक्त उद्गार मंगल मूर्ति रेजीडेंसी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन प्रसिद्ध भागवत आचार्य पंडित योगेश्वर जी शास्त्री ने उपस्थित धर्मालुओ को संबोधित करते हुए कहे।
आपने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा हमारे जीवन शैली के लिए शाश्वत ग्रंथ है जो हमारी इंद्रियों के संचालन का विधि सूत्र है। हमारी 10 वृत्तीयया, पांच कार्मिक और पांच सात्विक यदि उनका समुचित उपयोग हो तो मानव जीवन कभी असफल नहीं हो सकता। पंडित शास्त्री जी ने ऐतिहासिक पौराणिक पात्रों का मंचन करवाते हुए रासलीला के माध्यम से उन उपदेशों को प्रतिपादित किया जिनकी प्रासंगिकता आज भी मानी जाती है।56 भोग से लेकर मटकी फोड़ना, मक्खन खाना, माता-पिता गुरुजनों का सम्मान, मित्र धर्म, राज धर्म इत्यादि जीवन सूत्र वर्तमान समय में कितने प्रासंगिक है यह सब आपने विस्तार से बताया। मित्रता का उपदेश कृष्ण सुदामा मित्रता तथा राजधर्म का उपदेश श्री कृष्ण अर्जुन संवाद को परिभाषित करते हुए दर्शाया।
कथा समापन के पश्चात आरती में सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष नरेंद्र जोशी, सचिव शैलेंद्र तिवारी, महिला शाखा अध्यक्ष सुनीता पाठक, गरिमा उपाध्याय, प्रथमा कौशिक, चोबीसा ब्राह्मण समाज अध्यक्ष प्रकाश शर्मा जानी, वैभव पाठक, कपित वत्स, शैलेंद्र क्षोत्रिय, पंडित आनंदी लालजी व्यास, बृजेश व्यास खाचरोद, समाजसेवी महेश व्यास, राजेश जोशी आदि ने सम्मिलित होकर पोथी पूजन एवं शास्त्री जी से आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर क्षेत्रीय नागरिक गण श्री महेंद्र लोट एवं राजेश शर्मा द्वारा सभी उपस्थित धर्मालुओं को सल्पाहार कराया गया। कार्यक्रम में कैलाश शर्मा, महेश शर्मा, दिनेश शर्मा, सुनील शर्मा, निखिलेश शर्मा, मनीष शर्मा, प्रियेश शर्मा, आशीष शर्मा, गौरव शर्मा, संदीप शर्मा, दिव्यांश शर्मा, उत्कर्ष शर्मा, सौम्यथा शर्मा, गार्गी शर्मा, शुभी शर्मा, वृंदा व्यास, धनिश शर्मा, ज्ञानेश शर्मा, रिशल शर्मा, गर्वित शर्मा, अरविंदम शर्मा, बालकृष्ण राजावत, हरि बल्लभ शर्मा, गगन पाठक आदि उपस्थित थे। आयोजन का संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार निखिलेश शर्मा ने किया।