भगवान श्री राम मर्यादा के लिए और श्री कृष्ण धर्माचरण के लिए अवतरित हुए

 

रतलाम । संपूर्ण श्रीमद् भागवत कथा सनातन देवी देवताओं के अवतरण की रोचक और सारगर्भित कहानी है संपूर्ण मानव जाति के लिए भगवान श्री राम एवं श्री कृष्ण  द्वारा स्थापित मर्यादित मूल्य एवं धर्माचरणों की महत्ता को प्रतिपादित करता है । उनका पृथ्वी पर प्रकट होना सनातन संस्कृति के मूल्यों को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी पवित्र ग्रंथ के समान है । दोनों देव पुरुषों ने संसार में अपने आने का औचित्य स्थापित किया । भगवान शिव ने अपनी लीलाओं से अनेक किवदंतियों को जन्म दिया है । गंगा के विभिन्न स्वरूपों का पृथ्वी पर आना भी इसी का अंग है । जगत पिता शिव द्वारा स्थापित इन शाश्वत मूल्यों को आगे चलकर भगवान श्री राम एवं श्री कृष्ण ने दिशा देते हुए प्रयोगात्मक व्यवस्था के रूप में परिवर्तित किया भगवान श्री राम का वनवास और महाभारत का युद्ध दोनों इस बात का उदाहरण है ।
उपरोक्त उदगार परम पूज्य भागवत आचार्य श्री योगेश्वर शास्त्री जी ने मंगल मूर्ति रेजिडेंसी कॉलोनी में चल रही संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । आपने कहा कि जीवन में अधिकार से बड़ा योग्यता का मापदंड होना चाहिए जो हमारे शास्त्रों में भी वर्णित है । हम अधिकार के लालच में योग्य पुरुषों का अपमान कर देते हैं जो सर्वथा गलत है । धृतराष्ट्र से कहीं अधिक योग्य और शारीरिक रूप से समर्थ पांडू थे, लेकिन आधिकारिक रूप से धृतराष्ट्र राजा बने जो आगे चलकर महाभारत का कारण बने । बालक ध्रुव इसी मान्यता के शिकार हुए अनादर और अपमान ने उन्हें आकाशीय मंडल पर स्थापित कर दिया । तिरस्कार और अपमान योग्यता को दबा नहीं सकता नष्ट नहीं कर सकता वह अवसर आने पर अपना प्रताप अवश्य दिखाता है ।
आपने चाणक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि मगध राज्य में उनका घोर अपमान हुआ था भरी राज्यसभा में उन्हें अपमानित कर देश निकाला दे दिया था उसके बावजूद चाणक्य ने अपनी योग्यता और पुरुषार्थ के बल पर इतिहास को अपने नाम लिख दिया । इन महापुरुषों के जीवन से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है । श्रीमद् भागवत कथा उनके चरित्र को जन-जन तक पहुंचा रही है, आज के दौर में जो धार्मिक जन जागरण हो रहा है वह सनातन धर्म के साथ-साथ संपूर्ण मानव जाती के लिए मंगलकारी है । आपने भगवान श्री राम एवं कृष्ण जन्म को पात्रों द्वारा अभिनीत करवारकर प्रतिपादित किया । जैसे ही भगवान अवतरित हुए पंडाल में हर्ष और उत्साह छा गया, उत्साहित श्रद्धालु भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।
कथा समाप्ति के पश्चात आरती में लायंस क्लब की झोन चेयरपर्सन कल्पना राजपुरोहित, लायंस क्लब रतलाम अध्यक्ष कुलदीप त्रिवेदी, पूर्व रीजन चेयरपर्सन वीणा छाजेड़, गोपाल जोशी, बी.के.महेश्वरी, संजय गुणावत, शिक्षक सांस्कृतिक मंच के पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम तोगड़े, कृष्ण चंद्र ठाकुर, नरेंद्र सिंह राठौड़, श्याम सुंदर भाटी आदि  ने सम्मिलित होकर पोथी पूजा एवं पंडित जी का सम्मान किया।
इस अवसर पर यजमान कैलाश शर्मा, महेश शर्मा, दिनेश शर्मा, सुनील शर्मा, निखिलेश शर्मा, मनीष शर्मा, प्रियेश शर्मा, दीपक शर्मा, प्रशांत शर्मा, महेंद्र व्यास, अखिलेश राजावत, अभिसार हाडा, राजकुमार हाडा, विजय व्यास, आशीष शर्मा, संदीप शर्मा, गौरव शर्मा, छोटू शर्मा, दिव्यांश शर्मा, सौम्यथा शर्मा, अक्षिता शर्मा, गार्गी शर्मा, रिशल शर्मा, गौरी शर्मा, गर्वित शर्मा, वृंदा शर्मा, भाविका शर्मा आदि ने अतिथि एवं पोथी का स्वागत कर गुरुदेव का आशीर्वाद ग्रहण किया ।
इस अवसर पर मंगल मूर्ति रेजिडेंसी कॉलोनी के निवासियों द्वारा गुरुदेव शास्त्री जी का सम्मान किया गया । कार्यक्रम का संचालन प्रियेश शर्मा तथा आभार दिलीप वर्मा द्वारा व्यक्त किया गया।