नेत्रम संस्था के प्रयासों से एक घंटे में दो नेत्रदान, समाज के लिए प्रेरणादायक मिसाल

रतलाम। मानव सेवा का सर्वोच्च रूप परोपकार है, और जब यह सेवा जीवन के बाद भी जारी रहती है, तो यह एक अमूल्य उपहार बन जाती है रतलाम के दो परिवारों ने अपने दिवंगत स्वजनों का नेत्रदान कर समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। एक घंटे के भीतर दो नेत्रदान संपन्न हुए, जिससे दो दृष्टिहीन व्यक्तियों को नई रोशनी मिलने की आशा जगी।
पहला नेत्रदान दीनदयाल नगर निवासी प्रहलाद मंडोवरा के निधन उपरांत उनके पुत्र प्रस्थान मंडोवरा, प्रणयांश मंडोवरा एवं परिजनों ने अरुण अग्रवाल, विनोद माहेश्वरी, आशीष लोहिया की प्रेरणा से अपने प्रियजन की आंखें (कार्निया) दान करने का निर्णय लिया। इसी तरह, शास्त्री नगर निवासी बद्रीप्रसाद तिवारी के निधन पर उनके पुत्र कैलाश तिवारी, अजय तिवारी पौत्र,अक्षय,राहुल, आयुष तिवारी एवं परिजनों ने स्वप्रेरणा से बाऊजी के नेत्रदान (कार्निया) दान का निर्णय लेकर मृदुल मूणत को सूचित किया
नेत्रम संस्था के हेमंत मूणत ने बताया कि जैसे ही परिजनों की सहमति प्राप्त हुई, संस्था द्वारा गीता भवन न्यास, बड़नगर को सूचित किया गया। न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी.एल. ददरवाल अपनी टीम के सदस्य चंचल पाटीदार, मनीष तलाच के साथ तुरंत रतलाम पहुंचे और नेत्रदान की प्रक्रिया को विधिवत संपन्न किया।
इस दौरान नेत्रम संस्था के हेमंत मूणत, ओमप्रकाश अग्रवाल, शीतल भंसाली, मीनू माथुर, भगवान ढलवानी, शलभ अग्रवाल, गिरधारीलाल वर्धानी, हेमलता मालपानी (मारवाड़ी महिला मंडल) ,रोहीत मालपानी, हर्ष मालपानी,मोहित मालपानी, राहुल अग्रवाल,हरीश जेठवानी ,सतीश जेठवानी उपस्थित रहे। संस्था द्वारा परिजनों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनकी उदारता और समाजसेवा की भावना को सम्मानित किया गया।
नेत्रम संस्था इन परोपकारी परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है और समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने का संकल्प लेती है परिजनों की यह प्रेरणादायी पहल निश्चित रूप से अन्य लोगों को भी इस महान कार्य के लिए प्रेरित करेगी और अनेक दृष्टिहीन लोगों के जीवन में उजाला लाएगी।