इंदौर (अर्जुन राठौर) । आनंद मोहन माथुर इंदौर के एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता, समाजसेवी और सांस्कृतिक अग्रणी हैं, जिन्होंने अपने जीवन को समाज और शहर के विकास के लिए समर्पित किया है। उनका जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है, जो आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
आनंद मोहन माथुर का जन्म शाजापुर में हुआ था, लेकिन उनका परिवार 1940 के दशक में इंदौर आकर बस गया। उन्होंने 1943 में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनके पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें और समाजसेवा करें, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं ले सके। इसके बाद, उन्होंने इंदौर की मालवा मिल में मजदूरी की और महाविद्यालय में शिक्षक की भूमिका भी निभाई।
कठिनाइयों के बावजूद, माथुर साहब ने कानून की पढ़ाई पूरी की और मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) बने। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी और भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नर्मदा बचाओ आंदोलन, आदिवासियों के शोषण के खिलाफ संघर्ष, मिल मजदूरों के हक की लड़ाई और सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में वे हमेशा अग्रणी रहे हैं।
माथुर साहब ने इंदौर में इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) और प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई नाटकों का लेखन, निर्देशन और उनमें अभिनय किया। उनके नाटकों को देखने के लिए पृथ्वीराज कपूर और बलराज साहनी जैसी हस्तियां मुंबई से इंदौर आती थीं।
इंदौर को अनमोल सौगातें
माथुर साहब ने अपने निजी संसाधनों से इंदौर को कई महत्वपूर्ण सौगातें दीं, जिनमें प्रमुख हैं:
- आनंद मोहन माथुर झूला पुल
- आनंद मोहन माथुर सभागृह
- कुंती माथुर सभागृह
- आनंद मोहन माथुर सेंटर फॉर एडवांस सर्जरी (एमवायएच)
- मानवीय ट्रस्ट (एड्स पीड़ितों के लिए)
- आनंद मोहन माथुर शासकीय माध्यमिक शाला भवन
- जयकुंवर बाई माथुर ओपीडी
- लक्ष्मीनारायण माथुर आईसीयू
ये सभी परियोजनाएं उन्होंने अपने खर्च से पूरी कीं और समाज को समर्पित कीं।
94 वर्ष की उम्र में भी माथुर साहब समाजसेवा में सक्रिय थे शहरवासियों की समस्याओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता बरकरार रही और वे समस्याओं के समाधान के लिए सड़कों पर उतरने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी जीवटता और सेवा भावना इंदौर के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगी ।
आनंद मोहन माथुर का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की कहानी है। उन्होंने अपने कार्यों से न केवल इंदौर, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि सच्ची सेवा और समर्पण से कोई भी व्यक्ति समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।