मेडिकल कलेज की प्रबंध समिति का भाजपाई करण
रितेश मेहता
रतलाम की जितनी समितियां है सब में या तो अधिकारियों का या फिर कथित भाजपा नेताओं का बोलबाला है। यहां तक की भाजपा के जिला अध्यक्ष, महापौर और अन्य नेता हर बैठक में पहुंच जाते हैं जैसे वह उस समिति के सदस्य हो, जिसके कारण लोगों में काफी अ संतोष व्याप्त है। केवल चंद लोगों का ही सत्ता की समितियों में कब्जा है जो विधायक मंत्री के चहेते है। हाल ही में मेडिकल कॉलेज की प्रबंध समिति की बैठक में मंत्री कश्यप के साथ कई भाजपा नेता भी पहुंच गए इससे ऐसा लगा कि कश्यप ने उन्हें भी समिति में शामिल करा दिया है। इससे प्रबंध समिति के कई लोग आश्चर्यचकित हो गए थे जिनको मेडिकल का कोई ज्ञान नहीं वह विधायक मंत्री के साथ बैठकों में आ जाते हैं और शासन की रीति-नीति की धज्जियां उड़ाते हैं ,इससे मोहन यादव की सरकार तो बदनाम हो ही रही है । अनुशासित संगठन भाजपा की किरकिरी हो रही है। भाजपा शाषित नगर निगम ने संपत्ति और अन्य करों में इस प्रकार वृद्धि कर दी जैसे मोहम्मद तुगलक ने चमड़े के सिक्के चला कर लोगों को परेशान कर दिया था। सरकार की अपनी नीति होती है जिससे जनता जनार्दन को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो जो भी कर लगते हैं उनकी वसूली भी समय सीमा में की जाना चाहिए लेकिन नगर निगम द्वारा कर वसूली तो करना दूर उसने जनता पर ही मन – मने तौर पर कर थोप दिए इससे ऐसा लगता है कि नगर निगम पर चंद एम आई सी सदस्यों की चलती है जो नगर निगम को अपने तरीके से चला रहे हैं ना तो शहर विधायक,मंत्री इस बारे में बोल रहे हैं और नहीं पूर्व मंत्री , वर्षों तक भाजपा का नेतृत्व किया ,रतलाम के विधायक भी रहे लेकिन उनकी चुप्पी से भी लोग आश्चर्य मे है यह तो अच्छा है कि पत्रकारों ने संपत्तिकर के मामले में जनता का ध्यान आकर्षित किया। नगर निगम के अधिकारी और नेता कुंभकरणीय नींद से नहीं जाग रहे, राज्य सरकार के मुखिया व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को चाहिए कि वह रतलाम के सत्ता और संगठन में बैठे लोगों पर लगाम लगाए अन्यथा आने वाले चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान हो सकता है।जनता काफी दुखी और त्रस्त है।अब तो लोग भाजपा नैताओं कि संपत्ति पर भी निगाह लगाएं हूए है कि चंद वर्षों मै वह सर्व साधन युक्त कैसे हो गए।जो कल साधारण थै।आज खदानों,प्लाटों ,बेश किमती जमीनों कै स्वामी है।