भारत की बंगलादेश के प्रति नीति समझ से परे

लेखक – प्रो. डी.के. शर्मा, रतलाम

बंगलादेश में शेख हसीना का तख्ता पलट अगस्त 2024 में हुआ। तब से अब तक वहां सैकड़ों हिन्दू मारे जा चूके हैं। कई महिलाएं बलात्कार की शिकार हो चुकी है। असंख्य लड़कियों को उठाकर ले गये हैं। उनका क्या हुआ? किसी को पता नहीं। हिन्दू व्यापारियों की दुकाने लूट ली गई और घर जला दिये गये। बंगलादेश में रहने वाले 1 करोड़ 20 लाख हिन्दू खतरे में हैं। उनका जीवन अस्त-व्यस्त है। प्रतिदिन उनके साथ अत्याचार हो रहा है, परन्तु भारत सरकार आंख-कान बंद कर बैठी है। बंगलादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार से उसको कुछ लेना-देना नहीं, कोई चिंता नहीं, जो हो रहा है उसे होने दो। भारत की बंगलादेश के हिन्दूओं की चिंता न करने की नीति समझ से परे हैं। जब बंगलादेश संकट प्रारंभ हुआ तब हमने एक आलेख में लिखा था कि बंदलादेश में हिन्दूओं की रक्षा करना भारत का नैतिक कर्तव्य है। बंगलादेश के हिन्दूओं की चिंता न करने की नीति अनुचित और निंदनीय है।
भारत विभाजन के समय पाकिस्तान में बचे हिन्दूओं की सुरक्षा के बारे में भी लापरवाह रहा है। कांग्रेस सरकार की लापरवाही तो समझ में आती है। नेहरू का दृष्टि कोण हिन्दू विरोधी ही था, तभी तो पाकिस्तान में 24 प्रतिशत से कम होकर आज 1 प्रतिशत से भी कम हिन्दू बच गए हैं। किन्तु मोदी सरकार की बंगलादेश में हिन्दूओं की चिंता न करने की नीति समझ के परे है। पाकिस्तान में हिन्दूओं पर लगातार होते अत्याचार के विरूद्ध भी कभी किसी भारत सरकार ने आवाज नहीं उठायी, हिन्दूओं पर हुए अत्याचार के प्रति आंख मूंदे रखी। परन्तु बंगलादेश में हिन्दूओं पर अत्याचार अभी भी चल रहे हैं और भारत सरकार आंख मूंदे बैठी है।
बंगलादेश में हुआ परिवर्तन भारत की सुरक्षा के लिए भी ठीक नहीं है। वहां का शासन अतिवादी धर्मांध मुसलमानों के हाथ में जाने से भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। पाकिस्तानी सेना वहां पहुंचने लगी है। खुलेआम भारत विरोधी नारे लगाये जा रहे हैं; किन्तु भारत सरकार कान में तेल डालकर बैठी हुई है। छेड़ेगो तो छोड़ूंगा नहीं – नारा कहां गया? यदि बंगलादेश के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई तो अन्य छोटे पड़ोसी देश भी भारत को आंख दिखाने लगेंगे। 2014 से पहले वाली सरकारों की लापरवाही से ही लंका का बंदरगाह चीन ने 99 वर्ष के लिए लीज़ पर ले लिया। मालदीव में जब चीन के प्रभाव वाली सरकार थी तो उसने भी भारत को आंख दिखायी थी। बंगलादेश और म्यांमार से असंख्य रोहिंग्या भारत में घुस आये हैं, क्या कर लिया ? भारत सरकार बाते बड़ी-बड़ी करती है, किन्तु करती कुछ नहीं।
बंगलादेश की अक्ल ठीक करने के लिए भारत के पास बहुत उपाय है। अधिकतर आवश्यक वस्तुएं यहां से जाती हैं। इलाज के लिए भी बंगलादेशी भारत ही आते हैं। बिजली भारत की कंपनी के पास ही है। भारत को बंगलादेश की ये सुविधाएं तुरंत बंद कर देना चाहिए। देशहित में सज्जनता का कोई स्थान नहीं होता। सज्जनता- उदारता उसी के साथ करना चाहिए, जो उसके महत्व को समझे और आभार माने। बेवफा-धोखेबाज के साथ सज्जनता का कोई अर्थ नहीं होता। किसी भी देश की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक (डिफेंसिव) नीति ठीक नहीं होती। इसीलिए एक प्रसिद्ध कहावत – Offense is the best defense सिखाती है कि आक्रमण ही सर्वोत्तम बचाव है। भारत पाकिस्तान के साथ भी सुरक्षात्मक नीति का पालन करता रहा है। परिणाम हम भुगत ही रहे हैं। अब बंगलादेश के वापस पाकिस्तान के साथ जाने से भारत के सैनिकों द्वारा किया गया त्याग बेकार हो रहा है। भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। पाकिस्तान एटमबम भी लाकर बंगलादेश में रख सकता है। बंगलादेश के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करके हम देश को बहुत खतरे में डाल रहे हैं। वहां के हिन्दू तो लावारिस हो ही गए हैं। थोड़े समय में ही वहां के हिन्दूओं को मार-मारकर मुसलमान बना लिये जाएंगे जैसा कि पाकिस्तान में हुआ।
मोदी सरकार की अनेक योजनाएं – उपलब्धियां हैं जिन पर देश गर्व कर सकता है। विकास की गति तेज हो गई है और विश्व में भारत की प्रतिष्ठा उच्चस्तर पर पहुंच गई है। ये उपलब्धियां बहुत प्रशंसनीय है। पाकिस्तान के प्रति भी केवल एक बार सर्जिकल स्ट्राइक करके रह गए। यह दुश्मन देश लगातार आतंकी भेज रहा है और हम अपने देश में उन से लड़ते हैं। आतंकियों से लड़ाई को पाकिस्तान की सीमा में ले जाया जाना चाहिए। हमारे सैनिक तो हमारे देश में भी मारे जा रहे हैं। यह नीति बदली जानी चाहिए। बंगलादेश के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाना चाहिए अन्यथा कुछ समय बाद वहां से भी आतंकी आकर भारत में अशांति फैलाएंगे। बंगलादेश को तो बिना युद्ध के भी झुकाया जा सकता है।