कन्या महाविद्यालय में किया गया एकदिवसीय संगीत कार्यशाला का आयोजन
रतलाम । संसार का सभी संगीत स्वरूप पर आधारित है। संगीत का एक ही धर्म है सात स्वर, जिनकी हमें पूजा करनी चाहिए । फिल्म संगीत में विभिन्न रागों के प्रयोग पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारा शास्त्रीय संगीत वर्षों पुरानी परंपरा है और इस समृद्ध शाली परंपरा पर ही हमारा पूरा फिल्म संगीत आधारित है। उक्त उद्गार डॉ. नीलाभ राव नलवाडे ने शासकीय कन्या महाविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय चित्रपट संगीत कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
संगीत विभाग द्वारा आज शनिवार को चित्रपट संगीत में शास्त्रीय रागो का प्रयोग विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उज्जैन के प्रसिद्ध युवा कलाकार डॉ. नीलाभ राव नलवाडे मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे । अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ. सुनीता श्रीमाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मंगलेश्वरी जोशी उपस्थित थी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती पूजन किया गया। सरस्वती वंदना कुमारी रिदम मिश्रा ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ.बी.वर्षा, डॉ.स्नेहा पंडित, डॉ. रोहित चावरे, डॉ. अनामिका सारस्वत ने किया ।
डॉ. नलवाडे ने राग यमन की व्याख्या करते हुए राग में लगने वाले स्वरों के प्रयोग को बताते हुए आगरा घराने की बंदिश दर्शन देव शंकर महादेव छात्राओं को सिखाई । आपने राग यमन पर आधारित जब दीप जले आना, अभी ना जाओ छोड़ कर आदि गीतों का बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुतीकरण किया। इसी कड़ी में राग खमाज पर आधारित ठुमरी तथा कई फिल्मी गीतों को स्वरों के माध्यम से रेखांकित किया। छात्राओं को चैती गायन शैली की व्याख्या करते हुए चैती सिखाई ।
स्वागत उद्बोधन देते हुए डॉ. बी वर्षा ने कहा कि हमारे स्वर समस्त फिल्मी गीतों का आधार है, क्योंकि एन.ई.पी. के तहत फिल्मी गीतों के संकलन का समावेश पाठ्यक्रम में किया गया है और इसी को ध्यान में रखते हुए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिससे निश्चित रूप से छात्राएं इस कार्यक्रम से अवश्य लाभान्वित होंगी।
अध्यक्षता करते हुए प्रभारी प्राचार्य डॉ. सुनीता श्रीमाल ने कहा कि कार्यशालाए तो कई अटेंड की है किंतु संगीत कार्यशाला में उपस्थित होना मन को सुखद आनंद प्रदान करता है। प्रतिवर्ष संगीत विभाग द्वारा नए-नए विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती है इस प्रकार की कार्यशालाए सभी को सुर के सागर में डुबो जाती है।
इस अवसर पर डॉ. सरोज खरे, डॉ.संध्या सक्सेना, डॉ. अनामिका सारस्वत, डॉ.माणिक डांगे, डॉ. मीना सिसोदिया, प्रो. निलोफर खामोशी, प्रो. विनोद जैन, प्रो. नारायण विश्वकर्मा, डॉ.आनंद सिंदल, प्रो. मधु गुप्ता, डॉ. रोशनी रावत, अक्षद पंडित, प्रशांत शोचे, श्रीमती श्वेता त्रिवेदी, प्रिया उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी ।
हारमोनियम पर संगत संगीत विभाग के डॉ. रोहित चावरे ने की तथा तबले पर नगर के युवा तबला वादक तल्लीन त्रिवेदी ने साथ दी।
कार्यक्रम का संचालन $कु. रिदम मिश्रा और प्राची लक्कड़ एवं रूपांशी भंडारी ने किया तथा आभार डॉ. स्नेहा पंडित ने माना।