पाकिस्तानी सेना बंगलादेश की सेना को प्रशिक्षण देगी, भारत के लिए खतरा – प्रो. डी.के. शर्मा

बंगलादेश की घटनाएं भारत के लिए बड़ा खतरा है। यह सभी जानते हैं कि भारत की प्रतिक्रिया बहुत उदासीनता से भरी है। ऐसा लगता है जैसे भारत को बंगलादेश में होने वाली घटनाओं से कुछ लेना-देना नहीं। जो भी देश की चिंता करता है उसके लिए भारत सरकार की प्रतिक्रिया बहुत दुःख देने वाली है। यह बताने की जरूरत नहीं कि बंगलादेश को पाकिस्तान की गुलामी से आजादी भारत की कृपा से ही मिली थी, अब इस एहसान का बदला बंगलादेशी मुसलमान जिस तरह दे रहे हैं वह असहनीय है। बंगलादेश आर्थिक दृष्टि से पूरी तरह भारत पर ही निर्भर है। सभी प्रकार के सामान भारत से ही जाते हैं, बिजली भारत से ही दी जाती है जिसके करोड़ों रूपये बाकी है। बंगलादेश का अधिकतर व्यापार भारत के ही साथ है। भारत के बंगलादेश पर जितने एहसान हैं उनकी गिनती नहीं की जा सकती। इन एहसानों का बदला बंगलादेशी मुसलमान जिस तरह दे रहे हैं उसकी सजा दी जानी चाहिए। एहसानों के बदले में बंगलादेशी मुसलमान वहां के हिन्दूओं को मार रहे हैं; हिन्दू महिलाओं को उठाकर ले जा रहे हैं, उनके साथ कई दिनों तक बलात्कार करके उनकी हत्या कर रहे हैं। फिर भी भारत ने कुछ नहीं किया। विदेश सचिव को ऐसे भेजा जैसे भारत बंगलादेश से भीख मांग रहा हो। मोदी के राज में ऐसे कमजोर भारत की अपेक्षा नहीं थी। उलटे बंगलादेश शेख हसीना को वापस बंगलादेश भेजने के लिए भारत पर दबाव बना रहा है।
बंगलादेश की सेना बनी ही भारत के सहयोग से है। बंगलादेश बनने के बाद उसके पास अपनी कोई सेना नहीं थी। उस सेना को बनाने में भारत ने पूरी तरह मदद की। सेना के सभी साजों सामान भारत ने ही दिए हैं। बंगलादेश की सेना भी यह एहसान भुल गई। यदि यह सेना चाहती तो बंगलादेश में अराजकता फैलने नहीं देती, उसे रोक सकती थी। बंगलादेश में हिन्दूओं का हो रहा कत्लेआम और उन पर हो रहे अत्याचार वहां की सेना रोक सकती थी, किन्तु वह चुपचाप बैठी ही नहीं पूरी तरह वहां हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों को खुला समर्थन दे रही है। बंगलादेश का भारत विरोध उसके द्वारा पाकिस्तानी सेना को बंगलादेश में आकर बंगलादेशी सेना को ट्रेनिंग देने के निमंत्रण से अब खुलकर सामने आ गया है। अब यह स्पष्ट है कि बंगलादेश पूरी तरह भारत विरोधी हो गया है। यह भी साफ है कि बंगलादेश में हिन्दू अब सुरक्षित नहीं रहेंगे। थोड़े समय में ही वे मार दिए जाएंगे और उनकी बहु-बेटियों को भगा ले जाएंगे। थोड़े समय में ही बंगलादेश में हिन्दूओं का नामों निशा मिट जाएगा। पाकिस्तान में भी यही हुआ। पाकिस्तान बनते समय वहां 24% हिन्दू थे। आज 1% से भी कम है। वे कहां गए सब जानते हैं। सबकुछ दुःख देने वाला है। तब भी भारत की किसी सरकार ने विरोध नहीं जताया। दुनिया में हिन्दूओं का कोई देश नहीं, भारत था उसे भी मुस्लिम दबाव में धर्मनिरपेक्ष बना दिया। स्पष्ट है दुनिया में हिन्दूओं की रक्षा करने वाला कोई नहीं। इतनी बड़ी कौम लावारिस होकर रह गई।
भारत की प्रतिक्रिया बहुत निराशा जनक है। भारत ऐसे चुपचाप बैठा हुआ है जैसे बंगलादेश में हो रही घटनाओं से उस पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं, उसे कुछ लेना-देना नहीं है। यह बहुत दुखद है। हिन्दूओं की बात न करें तो भी बंगलादेश की घटनाएं भारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जिस पाकिस्तानी सेना को पूर्वी पाकिस्तान से भगाकर भारत ने बंगलादेश बनाया था उसी बंगलादेश में पाकिस्तानी सेना की वापसी हो रही है। अब भारत की सुरक्षा को खतरा दोनों तरफ से होगा क्योंकि पाकिस्तानी सेना अब वहां वापस आ रही है। हो सकता है पाकिस्तान कुछ एटम बम भी वहां लाकर रख दे। दुःख की बात है कि भारत ऐसे चुपचाप बैठकर कह रहा है कि हमें क्या लेना-देना। भारत सरकार की प्रतिक्रिया बहुत निराशाजनक है, ऐसी आशा नहीं थी। यह भारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यह भारत की विदेश और सुरक्षा नीति दोनों की असफलता दर्शाती है।
मोदी प्रधानमंत्री बने तो अपेक्षा थी कि देश सुरक्षित होगा और हिन्दू भी सुरक्षित होंगे। देश की सुरक्षा के लिए तो उन्होंने बहुत कुछ किया किन्तु बंगलादेश के सामने चुप क्यों बैठे हैं समझ में नहीं आता। क्या वे भी मुस्लिम तुष्टिकरण के दबाव में आ गए हैं? भारत सरकार के व्यवहार से ऐसा ही लगता है। हिन्दूओं की रक्षा न करना हो तो भी देश की रक्षा करने का उत्तरदायीत्व भारत सरकार का है। किसके दबाव में चुपचाप बैठे हैं यह समझ में नहीं आता। बंगलादेश के खिलाफ कार्यवाही करने में जितनी देर होगी उतना ही भारत का नुकसान होगा अब तक मोदी के व्यवहार को देखकर ऐसा लगता नहीं कि उनके दिमाग में कुछ चल नहीं रहा होगा। बंगलादेश के हिन्दूओं को बचाओ सरकार केवल विरोध प्रदर्शन से कुछ नहीं होगा। देरी करना ठीक नहीं।