– प्रो. डी.के. शर्मा
व्हाट्सएप के प्रारंभ में बहुत गुणी साहित्यकार अपनी रचनाएं उसमें प्रस्तुत करते थे। मैंने उनमें से कुछ सहेजकर रखी हैं, यद्यपि साहित्यकारों के नाम उपलब्ध नहीं हैं। सुधिजनों के लाभार्थ प्रस्तुत कर रहा हूं। यह क्रम कुछ समय चलता रहेगा।
मैं बचाता रहा
दीमकों से घर अपना,
और, चंद कुर्सी के कीड़े
पुरा मुल्क खा गए।
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कितने बदल गए
ये आज के रिश्ते,
चंद मुस्कानों के लिए
चुटकुले सुनाने पड़ते हैं
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