शहर की दिव्यांग और कैंसरग्रस्त बेटी पूजा 14 दिनों की बाइक सवारी के बाद अंततः नाथुला दर्रा पहुंची
आज इंटरनेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर तिरंगा हाथ में लेकर आम लोगों को असाध्य रोगों से मुकाबले का संदेश देंगी
इंदौर । दिव्यांग एवं कैंसर एवं स्पाईनल कार्ड से ग्रस्त होने के बावजूद इंदौर से 4500 किलोमीटर दूर नाथुला दर्रा की यात्रा पर गत 25 अक्टूबर को बाईक से प्रस्थित हुई साहसी युवती पूजा गर्ग अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए अंततः बुधवार को नाथुला दर्रा पहुंच गई है। अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अवेयरनेस दिवस पर गुरुवार 7 नवम्बर को वे देश के राष्ट्रीय ध्वज को हाथ में लेकर आम लोगों को असाध्य रोगों का मुकाबला करने का संदेश प्रदान करेंगी। नाथुला दर्रा तक पहुंचने के लिए पूजा को दार्जीलिंग से गंगटोक तक हिमालय क्षेत्र के ऊबड़-खाबड़, और 5500 फीट की ऊंचाई तक खड़ी ढलानों, तीखे मोड़ों और अप्रत्याशित मौसम से होकर गुजरना पड़ा है। पहाड़ी सड़कों पर बाइकर्स की सहनशक्ति और तकनीकी क्षमता का भी पूजा ने बुलंद हौंसलों के साथ सामना किया।
अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष अरविंद बागड़ी ने बताया कि इंदौर से यात्रा शुरू करने के पहले तक पूजा को अंदाजा था कि वे 20 से 25 दिनों में यह दूरी तय करेंगी, लेकिन उसके जोश एवं जज्बे का ही कमाल था कि वह 14वें दिन ही नाथुला दर्रा पहुंच गई हैं। गुरुवार सुबह 10 बजे इंटरनेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर वे नाथुला दर्रा पर अपने देश का तिरंगा हाथ में लेकर आम लोगों को उसकी तरह असाध्य रोगों से पूरे जोश एवं जज्बे के साथ मुकाबला करें। ठान लिया तो ठान लिया के सूत्र वाक्य को सामने रखकर पूजा ने प्रतिदिन औसतन 320 किलोमीटर की यात्रा की है। इस दौरान भोपाल के आगे एक छोटी सी दुर्घटना के अलावा उसे रास्ते में कहीं कोई दिक्कत नहीं आई। पूजा और उनकी टीम में पांच लोग शामिल हैं, जिन्होंने केवल दिन की रोशनी में यह सफर तय किया है। अब पूजा के इंदौर आगमन पर विभिन्न संगठनों की ओर से भी उनका स्वागत, सम्मान किया जाएगा।
बागड़ी ने बताया कि पूजा ने टेलीफोन पर पूरे जोश, जज्बे एवं उत्साह के साथ बताया कि वह बुधवार को नाथुला दर्रा पहुंच गई है। उसने बताया कि रास्ते में दार्जीलिंग और गंगटोक में भी वैश्य समाज के विभिन्न संगठनों ने पलक पावड़े बिछाकर उसका आत्मीय स्वागत किया। नाथुला दर्रे के पास तो भारतीय सेना के जवानों ने उसके इस साहसिक अभियान का दिल खोलकर स्वागत किया और कहा कि आप जैसी दबंग और जुनून वाली युवती का यह साहस देखकर हमें प्रेरणा मिलती है। उन जवानों ने भी काफी देर पूजा के साथ बातचीत की और उसके अभियान की सराहना भी की। इस अभियान से मैं आज खुद को सातवें आसमान पर जा पहुंची महसूस कर रही हूं – पूजा ने कहा।
गंगटोक में सिक्किम मारवाड़ी समाज की ओर से कंट्रोल रूम के सामने समाज के सभा भवन में पूजा और उनकी पूरी टीम का स्वागत किया गया। कार्यक्रम संयोजक रमेश पेड़ीवाल, वरिष्ठ समाजसेवी सुरेन्द्र सारदा, पवन मित्तल, ओमप्रकाश थिरानी, सत्य अग्रवाल एवं महिला मंडल की ओर से श्रीमती अलका मर्दा, शोभना सारदा, श्रीमती अनीमा सारदा आदि ने तहेदिल से पूजा को प्रशस्ति पत्र, शाल, श्रीफल तथा स्थानीय परंपरा के अनुसार खादा अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया। दार्जीलिंग में भी पश्चिमी बंगाल प्रदेश माहेश्वरी सभा की ओर से दार्जीलिंग चेम्बर ऑफ कामर्स के पीआरओ ओमप्रकाश तापड़िया, दार्जीलिंग मारवाड़ी सहायक समिति के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल एवं तेरापंथी जैन महिला संगठन की ओर से श्रीमती बेला जैन सहित समाजबंधुओं ने बहुत गर्मजोशी के साथ पूजा का सम्मान किया।