पर्यावरण संरक्षण: एक ज़िम्मेदारी नहीं, अब तो मजबूरी है

पर्यावरण संरक्षण: एक ज़िम्मेदारी नहीं, अब तो मजबूरी है

इंदौर। पर्यावरण संरक्षण आज के समय में सिर्फ एक ट्रेंड या जागरूकता का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह अब हमारी ज़रूरत से ज़्यादा एक मजबूरी बन चुका है। हम अक्सर कहते हैं, “धरती पर सब चंगा सी” – यानी धरती पहले बिल्कुल स्वस्थ और सजीव थी। पर क्या अब भी ऐसा है? नहीं! आज हमारी धरती ऐसी स्थिति में पहुँच चुकी है, जहाँ हरियाली घट रही है, नदियाँ सूख रही हैं, और चारों ओर प्रदूषण का साया है। अगर हम अभी भी नहीं सुधरे, तो भविष्य में हमारी अगली पीढ़ी कहेगी, “धरती पर तो अब कुछ भी चंगा नहीं सी!” और सोचिए, जब हमारी संतानें हमसे शिकायत करेंगी कि उनके पास पीने के लिए साफ पानी नहीं है, तो हम शर्मिंदा होकर क्या कहेंगे? शायद बस यह दिखा सकेंगे कि “देखो, हमारे जमाने में तो पानी प्लास्टिक की बोतलों में मिलता था!”

अगर आज भी हमें लगता है कि पर्यावरण का संरक्षण सिर्फ एक मजाक है, तो यकीन मानिए, भविष्य में हमारे पास सिर्फ मजाक ही बचेगा। आज के समय में हम देख रहे हैं कि नदियाँ सूख रही हैं, जंगल कट रहे हैं, और आसमान प्रदूषण से ढका जा रहा है। और क्या हम इन सब के बावजूद भी यही सोचते हैं कि “ये सब चलता रहेगा?” नहीं, भाई! सब कुछ यूं ही नहीं चलेगा। अगर हम प्रकृति की उपेक्षा करेंगे, तो वह भी हमें उपेक्षित कर देगी। और जब प्रकृति अपना बदला लेगी, तो वह बाढ़, सूखा, और भूकंप जैसी आपदाओं के रूप में हमारे सामने आकर खड़ी होगी। तब हम सिर्फ पछता सकते हैं कि हमने अपने पर्यावरण का कितना दुरुपयोग किया है।
अब ज़रा हल्के-फुल्के अंदाज में सोचिए। जैसे हम अपने घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखते हैं, वैसे ही हमें अपनी धरती को भी साफ रखना चाहिए। मान लीजिए कि आप रोज़ाना अपने घर में कचरा फैलाते रहते हैं, पानी बहाते रहते हैं, और किसी भी चीज़ की सफाई नहीं करते। तो सोचिए, कुछ ही दिनों में आपके घर का क्या हाल होगा? क्या आप उसमें चैन से रह पाएंगे? बिल्कुल नहीं! ठीक उसी तरह से हम अपनी धरती का भी हाल कर रहे हैं। अगर हम अब भी नहीं सुधरे, तो भविष्य में हमारी अगली पीढ़ी हमसे शिकायत करेगी, “आप लोग हमें ये गंदा घर क्यों सौंप गए ?
अब बात करते हैं जलवायु परिवर्तन की। अगर आपको लगता है कि सिर्फ गर्मी बढ़ गई है, तो यह आपके एयर कंडीशनर का फॉल्ट नहीं है, बल्कि यह धरती का तापमान है जो बढ़ रहा है। और यह बात मजाक नहीं है! असल में, जैसे हम सर्दियों में रजाई में घुसकर खुद को ठंड से बचाने की कोशिश करते हैं, वैसे ही अब धरती भी खुद को गर्मी से बचाने की कोशिश कर रही है। हमने उसके सिर पर इतने कचरे और प्रदूषण की चादर डाल दी है कि अब बेचारे ग्लेशियर भी कह रहे हैं, “हमें भी पिघलने का हक है!”
ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, और प्राकृतिक आपदाएँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। यह सब सिर्फ विज्ञान के आंकड़े नहीं हैं, बल्कि असलियत है। दुनिया भर में लोग विस्थापित हो रहे हैं, किसान अपनी फसलें खो रहे हैं, और लाखों लोगों के पास पीने के लिए पानी तक नहीं बच रहा है। क्या हमें अब भी लग रहा है कि हम इसे मजाक में ले सकते हैं?
अब समय आ गया है कि हम अपनी आदतों में बदलाव करें। जैसे हम अपने घर में सफाई रखते हैं, वैसे ही हमें धरती के लिए भी जिम्मेदार होना पड़ेगा। सबसे पहले, हमें प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। इसके अलावा, बिजली और पानी की फिजूलखर्ची से भी बचना जरूरी है। अगर हम इन छोटे-छोटे कदमों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लें, तो यह धरती के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात – पेड़ लगाना। हम सब जानते हैं कि पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं, लेकिन क्या हम इसके लिए उनके संरक्षण पर ध्यान देते हैं? हर एक पेड़ का महत्व है, और अगर हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएंगे, तो हमारे पर्यावरण में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है।
हम अक्सर कहते हैं कि यह धरती हमारी मां है। और मां का ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम अपनी मां की देखभाल नहीं करेंगे, तो क्या होगा? ठीक उसी तरह, अगर हम धरती का ख्याल नहीं रखेंगे, तो वह भी हमें उसी तरह छोड़ देगी। अब यह समय है कि हम अपनी सोच में बदलाव लाएं और धरती को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हर छोटा कदम महत्वपूर्ण होता है। चाहे वह प्लास्टिक का उपयोग बंद करना हो, बिजली और पानी का समझदारी से इस्तेमाल करना हो, या फिर अपने आस-पास कचरा न फैलाना हो – हर कदम एक बड़ा बदलाव ला सकता है। हमें यह समझना होगा कि यह धरती सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि हमारी अगली पीढ़ी के लिए भी है। अगर हम इसे नष्ट करेंगे, तो उन्हें क्या सौंपेंगे?

निष्कर्ष :
यह सच है कि पर्यावरण संरक्षण अब एक विकल्प नहीं, बल्कि ज़रूरी बन चुका है। अगर हम आज कदम नहीं उठाएंगे, तो आने वाला कल बहुत कठिनाइयों से भरा होगा। यह धरती हमारी जिम्मेदारी है, और हमें इसे सुरक्षित और स्वच्छ रखना ही होगा। क्योंकि अंततः, धरती हमारा घर है, और घर की देखभाल करना तो हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
तो आइए, हम सब मिलकर एक स्वस्थ, स्वच्छ और हरे-भरे पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाएं। यह हमारी धरती है, और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी। अगर हम आज अपने पर्यावरण की रक्षा करेंगे, तो कल हमारी आने वाली पीढ़ियां एक सुरक्षित और बेहतर दुनिया में रह पाएंगी।

लेखक:- सुरेश हरियानी , सचिव, मालवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज