हमारे पूर्वज वायु गति से पितृ लोक से भू लोक में आते हैं, तर्पण से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं
विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर चल रहे तर्पण अनुष्ठान में आचार्य पं. राजेश शर्मा के उदगार
इंदौर,। श्राद्ध पक्ष में हमारे दिवंगत पितरों के द्वार पूरे 16 दिनों तक खुले रहते हैं। शास्त्रों ने भी इस बात को मान्यत किया है कि हमारे पूर्वज वायु गति से पितृलोक से भूलोक में आते हैं और हमारे द्वारा उनकी मृत्यु तिथि पर तर्पण करने से पितरेश्वर प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ये प्रेरक विचार हैं विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम के आचार्य पं. राजेश शर्मा के, जो उन्होंने गुरुवार को विद्याधाम पर चल रहे तर्पण अनुष्ठान में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्राद्ध कर्म और तर्पण क्रिया उनकी तिथि पर ही करना चाहिए अर्थात जिस दिन व्यक्ति अपना शरीर छोड़ते हैं अथवा जिस दिन उनकी मृत्यु होती है उसी दिन की तिथि तर्पण के लिए लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि श्री श्रीविद्याधाम पर अब द्वादशी तिथि के दिन समस्त महापुरुषों और सन्यासियों का तर्पण अनुष्ठान होगा तथा उन्हें जलांजलि दी जाएगी। इसी तरह चतुर्दशी तिथि के दिन देश की सीमा पर शहीद हुए सैनिकों और भारत के वीर जवानों को जलांजलि देकर तर्पण किया जाएगा। सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी तर्पण किया जा सकता है, यदि हमें अपने पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है या मृत्यु की तिथि को लेकर किसी तरह का संशय हो। श्री श्रीविद्याधाम पर प्रतिदिन सुबह 8 से 9 बजे तक महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में निशुल्क तर्पण अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जो सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर तक जारी रहेगा। बड़ी संख्या में यहां महिला-पुरुष आकर तर्पण कर रहे हैं।