तनाव विश्वव्यापी संकट, इससे मुक्त होने के लिए
गीता और भागवत जैसे धर्मग्रंथों का आश्रय जरूरी
गीता भवन के संस्थापक बाबा बालमुकुंद की पुष्पांजलि सभा में रामकृष्ण मठ राजकोट के अध्यक्ष स्वामी निखिलेश्वरानंद के प्रवचन
इंदौर, । दुनिया के दो तिहाई लोग तनाव से ग्रस्त माने गए हैं। तनाव हर तरह का होता है। अमेरिका और यूरोप में तनाव ग्रस्त लोगों की संख्या 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है और वहां के अधिकांश कार्पोरेट घराने अपने स्टाफ के लिए तनाव घटाने के नियमित कार्यक्रम चला रहे हैं। योग और ध्यान के बिना तनाव को कम करना संभव नहीं है। तनाव की यही स्थिति बनी रही तो हम अपने युवा वर्ग को आत्महत्या जैसे अप्रिय कदम उठाने से नहीं बचा पाएंगे।
ये विचार हैं रामकृष्ण मठ राजकोट के अध्यक्ष स्वामी निखिलेश्वरानंद के, जो उन्होंने आज सुबह गीता भवन के संस्थापक बाबा बाल मुकुंद की 42वीं पुण्यतिथि पर आयोजित पुष्पांजलि सभा में व्यक्त किए। अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन इंदौर के सचिव स्वामी निर्विकारानंद ने की। अयोध्या से आई रामायण मर्मज्ञ दीदी मां मानस मंदाकिनी भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थी। न्यायमूर्ति वी.एस. कोकजे सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, बाबा बालमुकुंद के पोते संजीव कोहली, न्यासी मंडल के महेशचंद्र शास्त्री, प्रेमचंद गोयल, पवन सिंघानिया, मनोहर बाहेती, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, हरीश माहेश्वरी आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन ने स्वागत उदबोधन में बाबा बालमुकुंद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला और गीता भवन ट्रस्ट की गतिविधियों का ब्यौरा दिया।
स्वामी निखिलेश्वरानंद ने कहा कि आज का युवा सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों में इस कदर व्यस्त हो गया है कि उसे अपने तनाव का भी ध्यान नहीं रह गया है। अमेरिका और यूरोप सहित अनेक देशों में युवाओं में तनाव सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, जिसकी वजह से बहुत कुछ नुकसान हो रहा है। महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने तनावग्रस्त अर्जुन को कितने तरीके से तनाव से मुक्त किया और उसे युद्ध लड़ने के लिए राजी किया यह एक प्रेरक उदाहरण हमारे सामने है। गीता और भागवत को अनेक देशों ने अपने पाठ्यक्रमों तथा अनेक उद्योगों ने अपने दैनिक दिनचर्या में शामिल कर लिया है। हमें भी यदि तमाव से अपने युवाओं को बचाना है तो गीता, भागवत और अन्य धर्मग्रंथों का आश्रय लेना होगा। संचालन महेशचंद्र शास्त्री ने किया और आभार माना मंत्री रामविलास राठी ने।