एक खबर आई जिसने भारत में रहने वाले प्रत्येक समझदार नागरिक का दिल बहुत दुखाया। खबर आई कि बंगलादेश से क्रिकेट की टेस्ट सीरिज होने वाली है और उसके लिए भारतीय टीम की घोषणा की गई। सचमुच बहुत दिल दुःखा। भारत में रहने वाले संवेदनशील हिन्दु निश्चित रूप से बहुत दुःखी हैं। बंगलादेश में हिन्दुओं के साथ जो अत्याचार हो रहा है उससे भारत में ही नहीं पूरे विश्व में रहने वाले हिन्दु बहुत दुःखी हैं। दुःखी किन्तु असहाय। वे बंगलादेश में मारे जा रहे हिन्दु भाईयों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे। जो कर सकते हैं, जिन्हें करना चाहिए वे चुप बैठे हैं। हमारा तात्पर्य भारत सरकार से है। भारत सरकार ने बंगलादेश के हिन्दुओं के लिए कुछ भी नहीं किया। लोग मारे गए, लड़कियां उठा ली गई, परन्तु भारत सरकार मुक दर्शक बनी रही। कल ही गणेश प्रतिमा तोड़ी गई, पंडाल उखाड़ दिया गया किन्तु सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं। बंगलादेश में हिन्दुओं की संख्या बहुत कम हो गई है। शायद सरकार चाहती है कि बचे-खुचे भी मार दिये जाएं, तो इनका संकट मिटे। कुछ करना तो ठीक कहना भी नहीं पड़ेगा। इतना हो रहा है और क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जा रही है। बंगलादेश में हिन्दुओं के साथ असीमित अत्याचार मुमकिन है, परन्तु बंगलादेश को सबक सिखाना मुमकिन नहीं। इतना बड़ा देश हिन्दुओं की रक्षा करने में इतना असहाय होगा इसकी कल्पना नहीं कर सकते। सुरक्षा देने के बजाये बंगलादेश में हिन्दुओं को त्यौहार न मनाने और घर में रहने की सलाह दी जा रही है। घर भी तो सुरक्षित नहीं। आवश्यकता बंगलादेश के विरूद्ध कार्यवाही करने की थी, किन्तु क्रिकेट खेल रहे हैं। चाहे जितने अत्याचार हों हम तो क्रिकेट खेलेंगे। उदारता का ठेका भारत ने ही ले रखा है।