जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसे दुर्लभ योग संयोग

इस वर्ष जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसे दुर्लभ योग संयोग

पर्व काल की अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि एवम् रोहिणी नक्षत्र रहेगा

इंदौर।जन्म जन्मांतरों के पुण्य संचय होने से प्राप्त होता है ऐसा संयोग,,उपवास से करोड़ों यज्ञों का प्राप्त होगा फल*.रात्रि जागरण ,उपवास,एवम विधि विधान से पूजा अर्चना से चारों पुरुषार्थों की होगी प्राप्ति. वर्षों बाद स्मार्त और वैष्णव मतावलंबी इसी योग में मनाएंगे पर्व ,,,, आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा “वैदिक” “””।भगवान श्रीकृष्ण का आविर्भाव भाद्रपद मास,कृष्ण पक्ष,रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि के चंद्रमा में अर्धरात्रि को हुआ था। । संयोग से जन्म समय के योग 26अगस्त सोमवार को उपस्थित हो रहे है।इस वर्ष भाद्र कृष्ण , रोहिणी नक्षत्र और सोम /बुध वार से सयुक्त होने से *जयंती* योग।का।निर्माण हो रहा है। *मध्यप्रदेश ज्योतिष एवम् विद्वत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष *आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक* .ने बताया की जन्म जन्मांतरों के पुण्य संचय होने से इस प्रकार का दुर्लभ योग संयोग।प्राप्त होता है। अ त:इस प्रकार के योग में किया *उपवास* करोड़ों यज्ञों के फल को देने वाला होता है। धर्म शास्त्रीय विषयों के *आचार्य शर्मा वैदिक* ने बताया की सयोग से 26 अगस्त सोमवार को इस प्रकार का दुर्लभ योग प्राप्त हो रहा है,ऐसा योग *द्वापर युग* में उपस्थित हुआ था। 26 अगस्त सोमवार को अर्ध रात्रि में अष्टमी तिथि,रोहिणी नक्षत्र एवम् वृषभ राशि का चंद्रमा रहेगा।इस प्रकार *जयंती योग* में उपवास करने से कोटि जन्म कृत पाप नष्ट हो जाते है एवम करोड़ों यज्ञों का फल प्राप्त होता है। 26 अगस्त को अष्टमी तिथि रात्रि 2 बजकर 19 मिनिट तक रहेगी एवम् रोहिणी भी दोपहर 3.55 बजे से दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 3.57 बजे तक रहेगा।इस प्रकार 26 अगस्त को अर्ध रात्रि में *अष्टमी तिथि* एवम् *रोहिणी नक्षत्र* ,वृषभ राशि का चंद्रमा श्री कृष्ण जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण जयंती बना रहा है।पंचांगों की माने तो इस प्रकार का दुर्लभ महा संयोग *द्वापर युग* में उपस्थित हुआ था। *