सात समंदर पार अमेरिका की नगरी में गूंज उठा ’मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो…
इंदौर, । भारतीय संस्कृति में तीज-त्योहारों की जड़ें इतनी गहरी जमी हुई हैं कि सात समंदर पार रहने वाले भारतीय परिवार भी अपने बच्चों को अपनी परंपराओं और संस्कारों के रंग में सराबोर देखना चाहते हैं। अमेरिका के बोस्टन शहर के नजदीक वेस्ट फोर्ड नामक शहर में पिछले कोई 15 वर्षों से सपरिवार रहने वाले इंदौरी मूल के मनीषा-विवेक गोयल दम्पति ने अपनी 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी श्रेया गोयल को वहां रहते हुए भरत नाट्यम एवं शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के साथ ही भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों और अन्य उत्सवों के पर्यावरण में इस कदर ढाल लिया है कि हाल ही वेस्ट फोर्ड के एयो शिरले रीजनल हाई स्कूल के सभागृह में करीब 500 सदस्यों की मौजूदगी में श्रेया ने भरत नाट्यम की अपनी प्रस्तुतियां देकर वहां मौजूद भारतीय एवं अमेरिकी परिवारों को मंत्र मुग्ध बनाए रखा, बल्कि जन्माष्टमी जैसे त्योहार की याद भी ताजा करा दी।
श्रेया ने भरत नाट्यम की यह शिक्षा वहां रहने वाली दक्षिण भारत मूल की शिक्षक श्रीमती प्रीति रमेश के सानिध्य में रहकर प्राप्त की और पिछले सप्ताह ही भारत के स्वतंत्रता दिवस, रक्षा बंधन और जन्माष्टमी के मिले-जुले उत्सवी माहौल में अपनी प्रस्तुति देकर ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो…’ तथा ‘ठुमक चलत रामचंद्र पग बाजे पैंजनिया…’ जैसे दो भक्ति प्रधान गीतों पर भरत नाट्यम की सुमधुर तान छेड़कर विदेशी जमीन पर भी भारतीय संस्कृति का डंका बजाए रखा। इस मौके पर इंदौर से वेस्ट फोर्ड पहुंचे श्रेया के नाना रमेश गुप्ता ने भी हिन्दी में एंकरिंग का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मथुरा, वृंदावन से हजारों किलोमीटर दूर वेस्ट फोर्ड की इस भूमि पर भारतीय गीत, संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति देखकर भाव विभोर होना स्वाभिवक है। कार्यक्रम का समापन श्रेया को उसकी शिक्षक श्रीमती प्रीति रमेश द्वारा उपाधि प्रदान करने तथा रमेश गुप्ता द्वारा अपनी नातिन को स्वरचित कविता की रजत मंडित मंजूषा भेंट करने के साथ हुआ। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों में रहने वाले भारतीय मूल के करीब 100 परिवारों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और बच्चों का उत्साहवर्धन भी किया। वहां सभी त्योहार इसी तरह मिल-जुलकर एक साथ मनाए जाते हैं।