दुनिया में ऐसा कोई नहीं जिसके पास सुख ही सुख हो, दुख कुछ भी न हो – स्वामी परमानंद

दुनिया में ऐसा कोई नहीं जिसके पास सुख ही सुख हो, दुख कुछ भी न हो – स्वामी परमानंद

अखंड परम धाम सेवा समिति के तत्वावधान में अरोड़वंशीय भवन पर युगपुरुष के सानिध्य में सत्संग सत्र

इंदौर, । भारत की संस्कृति पूरी दुनिया में सबसे महान मानी गई है, लेकिन अज्ञानता के कारण हमारे युवकों में अनेक विकृतियां भी देखने को मिल रही हैं। हमें उन्हें मनोवैज्ञानिक ढंग से समझाने की जरुरत है। किशोर अवस्था, 13 से 17 वर्ष की आयु ऐसी अवस्था होती है, जब बच्चे सबसे ज्यादा गुमराह हो सकते हैं। उन्हें डांटने-फटकारने के बजाय अन्य कामों में व्यस्त बनाए रखने का तरीका ही ज्यादा कारगर होगा। दुनिया में ऐसा कोई नहीं, जिसके पास सब सुख ही सुख हो, दुख कुछ भी न हो। यहां तक कि सपने में भी दुख पीछा नहीं छोड़ता। संसार का सत्य क्या है, मैं कौन हूं, कहां से आया और कहां जाऊंगा – इन सारे सवालों को जानना ही हमारे मनुष्य जीवन की सार्थकता होगी।
ये दिव्य विचार हैं युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज के, जो उन्होंने अखंड परमधाम सेवा समिति के तत्वावधान में साउथ तुकोगंज स्थित पंजाब अरोड़वंशीय भवन पर चल रहे 28वें ध्यान-योग एवं साधना शिविर में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष किशनलाल पाहवा, श्यामलाल मक्कड़, रामदास गोयल, विनोद अग्रवाल, विजय शादीजा, अरुण गोयल, उदय जायसवाल, शांतिलाल उपाध्याय, मयंक अग्रवाल, यशवंत पंजपानी, देवेन्द्र अरोरा, हेमंत जुनेजा, विष्णु कटारिया, मुकेश राजानी आदि ने युगपुरुष का स्वागत किया। सत्संग में महामंडलेश्वर स्वामी दिव्य चेतना, स्वामी ज्योतिर्मयानंद, साध्वी चैतन्य सिंधु, योगाचार्य शिवप्रकाश गुप्ता, गोविंद सोनेजा, अभिजीत (पुणे), सुरेश कुकरेजा (कोटा) भी उपस्थित थे। संचालन राजेश रामबाबू अग्रवाल ने किया और गुरूवंदना साध्वी दिव्य चेतना ने सुनाई। महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरि ने भी प्रवचन दिए।
युगपुरुष स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि बच्चों को किसी न किसी अच्छे काम में व्यस्त रखना चाहिए। खाली दिमाग शैतान का होता है। हम उन्हें जितना मना करेगें, वे उस काम को करने की उतनी अधिक जिद करेंगे। उनकी इस प्रवृत्ति को हमें समझना पड़ेगा। कई बच्चे ऐसे भी होंगे, जिन्होंने अपनी दिनचर्या कुछ इस तरह की बना ली है कि सूर्योदय देखे कई दिन हो जाते हैं। उन्हें सुबह के वक्त कोई काम नहीं होता। हमारे समय में सुबह स्नान, ध्यान के बाद प्रभाति और अन्य कई तरह के नियमित अभ्यास कराए जाते थे, अब वह स्थिति नहीं रही। जब हम स्वप्न में होते हैं, तब सब कुछ दिखाई देता है। केवल एक ही स्थिति ऐसी होती है, जब हम संसार के सारे दुख भूल सकते हैं और वह स्थिति है गहरी नींद की।
आश्रम प्रबंध समिति के अध्यक्ष किशनलाल पाहवा एवं समन्वयक विजय शादीजा ने बताया कि पंजाब अरोड़वंशीय भवन पर 10 अगस्त तक प्रतिदिन सुबह 7 से 8 बजे तक योगासन, 8 से 9 बजे एवं संध्या को 6 से 8 बजे तक ध्यान एवं प्रवचन का आयोजन होगा। रविवार 11 अगस्त को सुबह 7 से 8 बजे तक योगासन तथा 8 बजे से प्रवचन तथा उसके बाद गुरू पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरू पूजन के आयोजन होंगे