कलियुग में श्रद्धा के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन की अधिकता – पं. दुबे

कलियुग में श्रद्धा के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन की अधिकता – पं. दुबे

गणेश नगर के शिव हनुमान मंदिर पर शिव महापुराण कथा में भजनों पर थिरक रहे श्रद्धालु

इंदौर,। हम सबका जीवन श्रद्धा और विश्वास रूपी दो स्तंभों पर टिका है। किस व्यक्ति में कितनी श्रद्धा है या किस पर कितना विश्वास किया जाए इसको मापने का कोई पैमाना नहीं है। कलियुग में श्रद्धा के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन की अधिकता देखने को मिलती है। लोग तीर्थ भी जाते हैं तो धर्म का भाव कम, पिकनिक का भाव ज्यादा होता है। तीर्थ स्थलों पर भी लोग ऐसा व्यवहार करते हैं, जो हमारी संस्कृति और परंपरा को लांछित करने वाले होते हैं। गंगा में डुबकी लगाकर पाप मुक्त हुआ जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम रोज पाप करें और रोज डुबकी लगाकर मुक्त हो जाएं।
ये प्रेरक विचार हैं उज्जैन के आचार्य पं. अंकित दुबे के, जो उन्होंने शुक्रवार को रोबोट चौराहा, बर्फानी धाम के पीछे स्थित मानस भवन शिव हनुमान मंदिर प्रांगण गणेश नगर में श्रावण मास के उपलक्ष्य में आयोजित महाशिवपुराण कथा में चतुर्थ दिवस पर व्यक्त किए। आचार्य पं. कुणाल शर्मा द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ट्रस्ट के प्रमुख तुलसीराम रघुवंशी, सचिव सविता सिंह एवं सुश्री शताक्षी रघुवंशी ने प्रारंभ में व्यासपीठ का पूजन किया। माता केशरबाई धार्मिक एवं पारमार्थिक न्यास के तत्वावधान में शिव महापुराण का यह दिव्य आयोजन 10 अगस्त तक चलेगा। पं. दुबे ने श्रोताओं को बताया कि माता पार्वती ने सीता का रूप धारण कर प्रभु राम की भी परीक्षा ली, वहीं भगवान शंकर ने सृष्टि को चलाने का भार रामजी को सौंपा।
मनोहारी भजनों की प्रस्तुतियों के बीच आचार्य पं. दुबे ने कहा कि शिव-पार्वती का विवाह चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में हरिद्वार के कनखल में हुआ। आज भी वहां स्नान करने पर कुवांरी कन्याओं के विवाह जल्द हो जाते हैं। शिव और पार्वती का विवाह श्रद्धा और विश्वास का समन्वय है। हम गृहस्थ लोगों के बीच भी श्रृद्धा और विश्वास की बुनियाद पर ही गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ती है। हमारे धर्म स्थल जाने-अनजाने में हुए अनुचित एवं पाप सम्मत कर्मों से मुक्ति के माध्यम हैं, लेकिन आजकल लोग तीर्थ यात्रा भी पिकनिक की तरह करने लगे हैं। हम जब तक नर में नारायण के दर्शन का भाव नहीं रखेंगे तब तक हमारी साधना अधूरी ही रहेगी। गंगा में स्नान से सब तरह के पापों से मुक्ति हो सकती है, लेकिन हम रोज पाप करें और रोज गंगा में डुबकी लगाकर पाप मुक्त हो जाएं, यह भी संभव नहीं है।
संयोजक अभिभाषक रेवतसिंह रघुवंशी ने बताया कि महाशिवपुराण कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से सायं 4 बजे तक होगी। कथा के दौरान शिव पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म प्रसंग, तुलसी जालंधर कथा, शिवरात्रि व्रत कथा, जप का महत्व एवं भगवान शिवाशिव की आराधना से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या होगी।