सत्संग में जाने वाला कभी पतन के रास्ते पर नहीं जा सकता –संजय कृष्ण सलिल

 सत्संग में जाने वाला कभी पतन के रास्ते पर नहीं जा सकता –संजय कृष्ण सलिल

बिचौली मर्दाना रोड स्थित वैष्णो धाम मंदिर पर कलश यात्रा के साथ भागवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ

इंदौर,। धर्म और अध्यात्म में प्रवेश की पात्रता तभी संभव है, जब हमारा मन निर्मल होगा। मन की निर्मलता और पवित्रता के बिना परमात्मा से जुड़ना संभव नहीं है। आज हर कोई संपन्न और सुखी तो होना चाहता है, लेकिन यह संपन्नता केवल आराधना, पूजा या प्रार्थना करने से ही नहीं मिलेगी, इसके लिए हमें धर्मग्रंथों का आश्रय और भागवत जैसे कालजयी ग्रंथों की शरण में आना होगा। लोग पूछते हैं कि कथा और सत्संग में जाने से क्या मिलता है, तो ऐसे लोगों को बताएं कि सत्संग में जाने वाला कभी पतन के रास्ते पर नहीं जा सकता। सत्संग से मन में श्रेष्ठ विचारों का सृजन होता है और संतों के सानिध्य में रहकर हमारे विचार परिपक्व एवं परिष्कृत होते हैं।
ये दिव्या विचार हैं वृंदावन से पधारे प्रख्यात भागवताचार्य डॉ. संजय कृष्ण सलिल के, जो उन्होंने सोमवार को जागृति महिला मंडल ट्रस्ट एवं बालाजी सेवा संस्थान ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में अग्रवाल पब्लिक स्कूल के पास बिचौली मर्दाना स्थित वैष्णो धाम मंदिर पर पर दिव्यांगों के सहायतार्थ आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व मंदिर परिसर में कलश यात्रा भी निकाली गई। रिमझिम फुहारों के बीच सैकड़ों महिलाओं ने भागवतजी को मस्तक पर धारण कर नंगे पैर चलकर कलश यात्रा में भाग लिया। कथा शुभारंभ प्रसंग पर व्यासपीठ का पूजन श्रीमती विनोद अहलूवालिया, दीप्ति शर्मा, सरिता छाबड़ा, वंदना जायसवाल, सरोज राठी, प्रभा खुराना आदि ने किया। कथा प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक होगी। डॉ. आर. के. गौर ने बताया कि शहर के हित में जल, ऊर्जा एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए भक्तों को प्रसाद के साथ पौधे भी भेंट किए जाएंगे।
विद्वान वक्ता ने गोकर्ण – धुंधकारी प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि भागवत कथा का श्रवण करने का सौभाग्य अनेक पुण्यों के उदय से प्राप्त होता है। आज हमारे परिवारों ने प्रेम, सदभाव और आपसी विश्वास में लगातार कमी आ रही है। हमारी नई पीढ़ी धर्म और संस्कृति के साथ धर्मग्रंथों से भी दूर होती जा रही है। घर-परिवार में बिखराव हो रहे हैं। इन हालातों में धर्मग्रंथ ही हमारे परिवारों को जोड़कर घर-परिवारों में आनंद की पुनर्थापना कर सकते हैं। यदि वास्तव में हमें समृद्ध समाज और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करना है तो धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चलकर ही आगे बढ़ा जा सकता है। परमात्मा से जुड़े बिना समृद्धि और खुशहाली नहीं आ सकती।

विनोद गोयल, नगर प्रतिनिधि