चुनाव आयोग–चुनावकर्मी बधाई के पात्र – प्रो. डी.के. शर्मा

आम चुनाव का अठारहवां महायज्ञ संपन्न हुआ। भारत की जनसंख्या और मतदाताओं की संख्या के अनुसार यह प्राचीनकाल में होने वाले अश्वमेध यज्ञ की तरह विशाल होता है। भारत का भू-भाग भी विशाल ही नहीं अकल्पनीय कठिनाईयों से भरा हुआ है। ऐसे विशाल स्तर पर चुनाव करवाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, योग्यता और उच्च स्तर की कार्यक्षमता की आवश्यकता होती है। सभी प्रकार के निर्दयी मौसम की मार भी झेलना पड़ती है। इस बार की गर्मी अकल्पनीय रही जिसके कारण कई चुनावकर्मी के प्राण चले गए। उन्होंने चुनाव के महायज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन सबको आदरसहित अभिनंदन और श्रद्धांजलि। चुनाव की विशालता भी अद्भुत है। 140 करोड़ की जनसंख्या वाले हमारे देश में करीब 80 करोड़ मतदाता है। विविधता भी बहुत है। 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश है और 1 सीट वाला पांडिचेरी भी है। चुनाव के साथ-साथ शादियों का मौसम भी चला और आईपीएल भी। चुनाव और आईपीएल एक साथ कराना बहुत कठिन काम है। शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों ने दोनों को निर्विघ्न संपन्न करवाया। इनकी जितनी प्रशंसा की जाएं कम है।
चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दल और प्रत्याशी सक्रिय हो जाते हैं। धीरे-धीरे सभी का मानसिक पारा ऊपर चढ़ने लगता है। आरोप – प्रत्यारोप की झड़ी लग जाती है – उचित अनुचित सभी प्रकार की बाते होती है। कई बार चुनाव आयोग और चुनावकर्मियों पर भी दोषारोपण किए जाते हैं। ऐसे में मानसिक संतुलन कायम रखकर सफलता पूर्वक चुनाव संपन्न करवाना आसान काम नहीं होता। बहुत तनाव होता है और मानसिक संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक किन्तु कठिन होता है। इस कलमकार ने सभी परिस्थितियों में चुनाव संपन्न करवाने का दायित्व निभाया है। पत्रकार के रूप में भी चुनाव संचालन में आने वाली कठिनाईयों को देखा है। जब विघ्न आते हैं तब दृढ़ इच्छाशक्ति और मानसिक संतुलन की आवश्यकता होती है। जिस व्यक्ति ने यह सबकुछ स्वयं भुगता हो वही चुनावकर्मियों की वास्तविक कठिनाई और साहस का आंकलन कर सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार 64 करोड़ वोटर्स ने वोट डालें, इसमें 31 करोड़ महिला मतदाता है। यह संख्या 7 बड़े प्रजातांत्रिक देशों की जनसंख्या से भी अधिक है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 16 मार्च से शुरू हुआ चुनाव प्रचार, 75 दिन चला। 19 अप्रैल से 1 जून तक सात फेज में वोटिंग हुई। चुनाव की यह प्रोसेस कुल 43 दिन तक चली। कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न हुए। वहां पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स ने निडर होकर मतदान किया। यह भी अद्भुत रहा। धारा 370 हटने के बाद कश्मीर का माहौल ही बदल गया है।
चुनाव के परिणाम से ईवीएम के दुरुप्रयोग के आरोप खारिज हो गए। कुछ लोगों के लिए जीते तो ईवीएम अच्छा हो जाता है और हारे तो खराब। इस तरह के झुठे आरोप लगाने वाले अपनी खुद की प्रतिष्ठा खराब करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को नागरिक अच्छी नजर से नहीं देखते। उनकी इज्जत खराब होती है। परन्तु उनको कोई परवाह नहीं। वे तो अपनी तरह से ही राजनीति करते हैं। उन्हें नागरिकों में अपनी प्रतिष्ठा का गुप्त सर्वे करवाना चाहिए, तभी उन्हें सच्चाई पता लगेगी। सभी को देश की संवैधानिक संस्थाओं और स्थापित प्रक्रिया में विश्वास करना चाहिए। यही देश हित में हैं।