इंदौर। ये कहना गलत है कि चुनावी सर्वे से मतदाता प्रभावित होते हैं। मतदाताओं की समझ पर सवाल खड़े कर राजनीतिक दल अपनी नासमझी का परिचय देते हैं। मतदाता पहले ही मन बना लेते हैं कि उसे किसे वोट देना है। पश्चिमी देशों सहित अमेरिका में सरकार के कामकाज पर हर हफ्ते सर्वे होते हैं पर हमारे यहां इसे केवल चुनावी इवेंट माना जाता है।
ये कहना है देश की ख्यात सर्वे एंजेसी ‘सी वोटर’ के डायरेक्टर वरिष्ठ पत्रकार यशवंत देशमुख का। वे इंदौर प्रवास के दौरान स्टेट प्रेस क्लब, मप्र में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
जब तक कोई बड़ी घटना न हो मतदाताओं का मूड नहीं बदलता
श्री देशमुख ने कहा कि मतदाता काफी वक़्त पहले ही तय कर लेते हैं कि उन्हें किस चुनाव में किसे वोट देना है। जब तक कोई बड़ी या चमत्कारिक घटना न हो जाए, उनका मूड नहीं बदलता। अगर सर्वे से जनता प्रभावित होती तो कई सर्वे गलत सिद्ध नहीं होते।
मतदाताओं की समझ पर सवाल खड़े नहीं करें
सी वोटर के डायरेक्टर ने कहा कि मतदाताओं की समझ पर सवाल खड़े करना उचित नहीं है। मतदाता समझदार नहीं होते तो लोकसभा और विधानसभा में अलग- अलग पार्टियों को वोट नहीं देते। इस तरह का वोटिंग ट्रेंड आने वाले समय में भी नज़र आएगा।यह परिपक्व मतदाता की निशानी है।
सैम्पल सर्वे से ही देश की नीतियां निर्धारित होती हैं
सी वोटर के डायरेक्टर देशमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश की नीतियां भी सैम्पल सर्वे पर निधारित होती हैं, ऐसे में चुनावी सैम्पल सर्वे को गलत बताना सही नहीं है। सर्वे प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होती है। उसमें यह साफ तौर पर अंकित होता है कि सर्वे किस चैनल या अख़बार के लिए किया जा रहा है। ऐसे में उसके प्रायोजित होने का आरोप लगाना भी उचित नहीं है।
नेता पर भरोसा हो तो अन्य मुद्दे गौण हो जाते हैं
यशवंत देशमुख ने कहा कि नेता या पार्टी के प्रति जनता का भरोसा हो तो अन्य मुद्दे उसे प्रभावित नहीं कर पाते। यही कारण है कि नोटबन्दी, महंगाई,डीज़ल-पेट्रोल के बढ़ते दाम के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति जनता का भरोसा बरकरार है।