क्या हुक्म है, मेरे आका? चुनावी दौर में (277) बीघा जमीन मुद्दे का जिन्न एक बार फिर आया बाहर!

त्वरित रिपोर्ट-:  धर्मेंद्र श्रीवास्तव🖌🖌

(नगर विकास समिति का गठन)

बात सरदारपुर की……

नगर में है कौतूहल का विषय……

जिस मुद्दे को लेकर क्षेत्र के लोकप्रिय कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल शिक्षा के क्षेत्र को अलविदा कहकर राजनीति के समर में कूदे थे, और सरदारपुर नगर परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें भारी बहुमत से विजय श्री भी प्राप्त हुई थी, यहीं से उनका राजनीतिक सफर पूरी विधानसभा में आरंभ हुआ था,

मुद्दा जो अभी तक मुद्दा नहीं रहना था,

अभी तक मुद्दा बना हुआ है,

नगर के विवेकशील महामानवों के बीच चर्चा का विषय है,

कि पिछली नगर परिषद भी कांग्रेस की ही थी,

बीते उन 5 वर्षों में एवं उससे भी पहले के वर्षों में ऐसा कुछ क्यों नहीं हुआ,

“नगर विकास समिति”  का गठन तो तब भी किया जा सकता था, तब भी यह समिति पूरी ऊर्जा के साथ कानूनी तौर पर अपना पक्ष रख सकती थी,

जितनी पुरानी माननीय विधायक महोदय की राजनीति है,

उतना ही पुराना यह (277 )बीघा जमीन का मुद्दा भी है,

संवाद अगर खुलकर करेंगे तो बात निकल कर आएगी यह हमारे हाथ में नहीं है, मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है,

आज हमें सुनने को मिल रहा है,

कि नगर विकास समिति गठित कर दी गई है,

इसलिए संवाद तो बनता है,

कि यह जिन्न जो अभी-अभी  राजनीतिक चिराग से बाहर हुआ है,

क्या चुनाव के संपन्न हो जाने के बाद भी पूरी ईमानदारी से यह कहेगा,

क्या हुक्म है, मेरे आका,

या (२७७ बीघा) जमीन का यह चिराग ही रसातल में चला जाएगा!