राजनीति और धर्म………..

युगो युगो से राजनीति और धर्म का गहरा संबंध रहा है…..
भारतीय सत्य सनातन धर्म के ग्रंथों को देखा जाए तो सतयुग त्रेता और द्वापर में भगवान को ही राजा कहा गया है, मर्यादा पुरुषोत्तम (महाराज ) श्री रामचंद्र भगवान….. जिनका साम्राज्य अयोध्या के साथ-साथ अखिल विश्व में विस्तृत रूप में था…… उसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण और अन्य देव अवतारों का वर्णन मिलता है, जिन्होंने राज्य सत्ता भी संभाली रामायण और महाभारत काल इसका मूल प्रमाण है!
लेख-: धर्मेंद्र श्रीवास्तव….. ✍️✍️
कालांतर में स्थितियां बदलती गई और कई कई वर्षों तक राजनीति के साथ धर्म की रक्षा करते हुए सम्राटों ने देश धर्म संस्कृति को जीवित रखा और प्रजा के अधिकारों को पूर्ण रूप से प्रदान किया विशेष रुप से मृत्यु लोक और भारतवर्ष की राजनीति धर्म की रक्षा के बिना आगे बढ़ ही नहीं सकती है, धर्म का अर्थ ही है सत्य सनातन राजनीति को सत्य के साथ करते हुए धर्म के साथ करते हुए संपूर्ण सृष्टि का पालन करना यही तो भारतीय राजनीति का मूल मंत्र है

देश का इतिहास उठा कर देखे तो मुगल और अन्य विदेशी आक्रांता को धूल चटाने वाले महान सम्राट ललितादित्य, सम्राट महाराणा प्रताप, शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान, ऐसे कई सम्राट हुए जिन्होंने धर्म पर चलते हुए अपने इष्ट की आराधना करते हुए इस देश को आक्रांता और आक्रमणकारियों से सुरक्षित रखा और उन्हें इस देश से खदेड़ा है ,मूल रूप से भारतीय राजनीति का मूल् अंग सत्य सनातन धर्म है जिसके प्रमाण भारतवर्ष के साथ-साथ विश्व में बिखर पड़े हैं सत्य सनातन धर्म के वेदों पुराणों एवं विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अनुसरण विश्व के कई पंथ कर रहे हैं, और करते आ रहे हैं, कई देशों की मुद्रा पर तो आज भी भगवान राम और गणेश के चित्र अंकित है, धर्म के बिना सत्य पूर्ण राजनीति की ही नहीं जा सकती भले ही आज प्रजातंत्र विद्यमान हो, किंतु देश तो विभिन्न राजनीतिक पदों के माध्यम और उनके दिशानिर्देशों पर ही चल रहा है, वर्तमान समय धर्म के जागरण का है जो राजनीतिक पार्टी धर्म से विमुख होकर आगे बढ़ेगी धर्म का विरोध करते हुए आगे बढ़ेगी वह रसातल में पहुंच जाएगी, धार्मिक ग्रंथ आज भी साक्ष्य के रूप में विद्यमान है प्रभु श्री राम ने मर्यादा और नीति पर चलकर भगवान शिव की आराधना की थी वहीं दूसरी ओर प्रकांड पंडित और ज्ञानी रावण जो महान शिव भक्त था और उसने भी भगवान शिव को प्रसन्न करके 10 शीश प्राप्त कर लिए थे किंतु घमंड और अभिमान में आकर अनीति पूर्ण कार्य करने लग गया था, अमरता का वरदान प्राप्त करने के बाद भी उसे मृत्यु का ग्रास बनना पड़ा और अंत में विजय महाराज श्री राम की हुई आदि अनादि धर्म और संस्कृति का यह देश झूठ मक्कारी लालच और धोखे बाजो के द्वारा कूटनीतिक राजनीति के माध्यम से ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है, इस देश की मतदाता रूपी प्रजा श्रीमद् भागवत श्रीरामचरितमानस रामायण वेद और पुराणों का अध्ययन करने वाली है, जो अच्छी तरह से समझती है कि उनका अपना सार्वभौमिक विकास और हित किस पार्टी में है अखिल विश्व और उसके साथ विश्व के अनेक देश रामराज्य का अनुसरण करते हैं और यह देश अखिल विश्व में आज भी रामराज्य उनकी मर्यादा और आदर्शों से जाना जाता है,

राजनीति और धर्म के साथ-साथ चले बिना कोई भी देश अपनी उन्नति कर ही नहीं सकता है, इसलिए राजनीति के साथ धर्म का जुड़ाव  भारतवर्ष के लिए  महत्वपूर्ण है!