पारिवारिक (संगठन समाज में महत्वपूर्ण)

संगठन में शक्ति है….

धर्मेंद्र श्रीवास्तव….

संयुक्त परिवार में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति महिला पुरुष की राय भिन्न-भिन्न हो सकती है किंतु विचारों के इधर भी पारिवारिक संगठन मजबूत होना आवश्यक है,,,

जैसा कि हमें महाभारत काल का प्रसंग श्रवण करने में आता है जो पारिवारिक एकता का प्रमाण है परिवार में अलग-अलग विचार होने पर मतभेद यहीं से आरंभ हो जाते हैं किंतु महाभारत काल में हमें कुछ पात्र ऐसे मिलते हैं जिन्होंने पारिवारिक सांगठनिक एकता को महत्वपूर्ण समझा ऐसे से समझौते और निर्णय हुए जिन्हें देखकर पढ़कर सुनकर आश्चर्य होता है पांच भाइयों के बीच द्रोपती का पत्नी के रूप में जो बंटवारा हुआ उसका उत्तर आज तक लोगों को सही अर्थों में नहीं मिल पाया किंतु श्रीकृष्ण ने शास्त्रों में इसका उत्तर दिया है हम प्रश्नों में ना उलझे केवल और केवल इस पर टिके की परिवार की एकता कुंती के लिए कितनी महत्वपूर्ण थी जब पांडव कौरवों से परेशान होकर जंगल जंगल घूम रहे थे तब हिडिंब नाम के राक्षस की बहन हिडिंबा भीम पर मोहित हो जाती है और हिडिंबा कुंती से निवेदन करती है कि मैं आपकी बहू बनना चाहती हूं कुंती के मन में यह प्रश्न हिलोरे लेता है कि पांचों पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र युधिष्ठिर है और

प्रथमतया…. वैवाहिक कार्य धर्मराज युधिष्ठिर का ही होना चाहिए किंतु प्रस्ताव भीम का आया और यह सभी क्षत्रिय और प्रस्ताव था एक राक्षसी का कुंती ने निर्णय लिया कि मेरे परिवार की एकता बनी रहे उसमें कोई फूट ना हो मेरे सभी पुत्र सुरक्षित रहे यदि वह कन्या बीमा पर मोहित है किंतु राक्षसी है तब भी स्वीकारोक्ति आवश्यक है यदि प्रस्ताव को और अस्वीकार कर दिया तो….. अपने भीतर के आवेग को दबाकर रखेगी और इस प्रकार निर्णय पक्ष में होकर हिडिंबा पांडवों की बहु बनी,

इस महत्वपूर्ण प्रसंग से एक बात समझ में आती है ,

कि … कुंती की तरह हमारे जीवन में भी ऐसे कई प्रसंग आएंगे जब हमें कुछ हट कर निर्णय पर पहुंचाना होगा,

तब जाकर परिवार की एकता बनी रहेगी!!