दीनदयाल की “सरदारी” पर तकरार

इंदौर के हितों के आड़े आ रहे संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा

भाजपा नगर अध्यक्ष को लेकर आमने सामने हुए वीडी शर्मा और हितानंद शर्मा

हितानंद गौरव को बनाये रखने के पक्ष में,वीडी चाहते है टीनू बने अध्यक्ष
हितानंद न दीनदयाल भवन में चाहते है बदलाव,न आईडीए बोर्ड में संचलक मंडल

भोपाल । कुशाभाऊ ठाकरे से लेकर माखनसिंह चोहान जैसे संगठन के तपोनिष्ठ नेताओ वाली भाजपा ने अब ऐसे संगठन के नेता आ गए हैं जिनके जिम्मे काम तो कार्यकर्त्ताओं के हितों की रक्षा करने का काम है लेकिन वे अपने अपने हितों के लिए लड़ रहे हैं। संगठन के नेताओ के आपसी हित की लड़ाई उस दल में सामने आई है जिसे ” पार्टी विथ ए डिफरेंस ” कहा जाता हैं। “सत्ता वाली भाजपा” में आई इस विकृति के चलते फ़िलहाल तो कमल दल ” पार्टी विथ ए डिफ़रनसेस” नजर आ रहा हैं। वो भी चुनावी साल में। मिशन 2023 के मुहाने पर।
कार्यकर्ताओ की हितों की रक्षा करने के लिए महामंत्री बनाये गए प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा स्वयम के हित साधने में जुट गए। संगठन महामंत्री इंदौर के हितों के आड़े आ गए हैं। वे नही चाहते कि नगर भाजपा के मुख्यालय दीनदयाल भवन को नया मुखिया मिले। न वे इस पक्ष में है कि इंदौर विकास प्राधिकरण में शेष बचे 2 उपाध्यक्ष के साथ संचालक मंडल का गठन हो। इंदौर के इस मामले में प्रदेश भाजपा के अध्यस वी डी शर्मा और महामंत्री शर्मा आमने सामने हो चले हैं।* प्रदेश अध्यक्ष चाहते है कि इंदौर में पार्टी का नया अध्यक्ष आये। क्योकि मौजूदा अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो गया हैं। महामंत्री हितानंद चाहते है कि मौजूदा अध्यक्ष गौरव रणदिवे को चुनाव तक बनाये रखा जाए। अब *संगठन के दो अहम पद पर बेठे नेता ही आपस मे लड़ रहे हैं। वो भी चुनावी साल में। इससे साफ हो जाता है कि भाजपा के अंदरूनी हालात किस कदर खराब हो चले हैं। जिन नेताओ के जिम्मे पार्टी और वर्कर्स के हितों के रक्षण, पोषण और संवर्धन की जिम्मेदारी है, वे आपस मे अपने अपने हितों की रक्षा करने में जुट गए हैं।

इस मूददे पर पार्टी के अधिकांश नेता वीडी शर्मा के पक्ष में हैं लेकिन *हितानंद अपने पूर्ववर्ती महामंत्री सुहास भगत के हितों की रक्षा में जुटे हुए हैं। इसे लेकर इन्दौर भाजपा ही नही, प्रदेश में गुस्सा हैं। गौरतलब है कि हितानंद इंदौर के मामले जिन दो नेताओ गौरव रणदिवे और जयपाल सिंह चावड़ा को फ्री हैंड देने के लिए अड़े है, इनकी नियुक्ति सुहास भगत जाते जाते कर गए थे। अब हितानंद इनके “पालक” बन बैठे हैं।* प्रदेश अध्यक्ष शर्मा, पूर्व पार्षद दीपक जैन ” टीनू” को दीनदयाल भवन का ” सरदार” बनाना चाहते हैं। उनका मन्तव्य है कि गौरव मिशन 2023 में हाथ आजमाना चाहते है तो उन्हें समय रहते मुक्त करना मुफ़ीद रहेगा। मौजूदा नगर अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो जाने से वीडी शर्मा को इंदौर भाजपा का समर्थन मिला हुआ है लेकिन संगठन में अपने ही सहयोगी हितानंद शर्मा की हठधर्मिता आड़े आ रही हैं। *इंदौर की इस लड़ाई से ये भी साफ हो जाता है कि प्रदेश भाजपा में संगठन ही एकमत नही है न परस्पर तालमेल है और पार्टी इसी जोड़ी के साथ 6 महिने बाद चुनाव में जाने वाली हैं।
इन्दौर के मसले पर इन दो नेताओ की आपसी खींचतान ने सीएम शिवराज सिंह का काम आसान कर दिया हैं। वे संगठन स्तर पर बदलाव के न केवल पक्ष में बल्कि उसके लिए निरंतर प्रयासरत भी हैं।* ऐसे में इंदौर में दीनदयाल भवन की सरदारी का मसला दिलचस्प हो गया हैं कि प्रदेश अध्यस की चलती है या महामंत्री की।
वैसे तो भाजपा नगर अध्यक्ष को लेकर उठापटक नगर निगम चुनाव की समाप्ति के बाद से ही चल रही है लेकिन बड़े नेताओ के हित आपस मे इस कदर टकराये है कि मौजूदा अध्यक्ष रणदिवे कार्यकाल समाप्ती के बाद भी कमान सम्भाले हुए हैं। हालांकि नगरीय *निकाय चुनाव के बाद वे दीनदयाल भवन के जरिये पार्टी की गतिविधियों को सख्ती से अंजाम दे रहे हैं। फिर चाहे बूथ विस्तार अभियान हो या फिर नए वोटर्स जोड़ने वाला मतदाता सूची का काम। रणदिवे इसके अलावा भी मिशन 2023 के मद्देनजर फिलहाल दिन रात एक किये हुए हैं और निगम चुनाव के दौरान लगे आरोपों को धोने में जुटे है। इसमें वे एक तरह से सफल भी हो रहे हैं और उनकी पकड़ बूथ स्तर तक मजबूत हो चली हैं।
रणदिवे के बारे में बताया जा रहा है कि वे स्वयम चुनाव के दावेदार हैं। लिहाजा वे पद पर बने रहने के लिये कोई जोड़तोड़ कर भी नही रहे हैं ताकि समय रहते पसंदीदा सीट पर मैदानी जमावट कर सके। लेकिन महामंत्री हितानंद की मंशा है कि अध्यक्ष रहते गौरव ज्यादा टिकट के नजदीक रहेंगे। चुनावी साल में नया अध्यक्ष को रणदिवे के कार्यकाल की सांगठनिक जमावट को समझने में वक्त लगेगा। अभी रणदिवे का लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों से बेहतर समन्वय बना हुआ हैं।
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा दीपक जैन टीनू को नगर भाजपा की जिम्मेदारी देने के पक्ष में हैं। जैन के नाम पर शर्मा ने सीएम को भी विश्वास में ले लिया है लेकिन सीएम संगठन के दो बड़े नेताओं के इस झगड़े में पड़ना नहीं चाहते हैं। लिहाजा वे इंदौर के मसले पर अपनी तरफ से कोई पहल नही कर रहे हैं। इसलिए ही सीएम चाहते हुए भी आईडीए बोर्ड का गठन नही कर पा रहे हैं। अन्यथा उन्होंने गोलू शुक्ला की ताजपोशी कर जल्द ही प्राधिकरण के संचालक मंडल बनाने की बात दावेदार नेताओ से कही थी।लेकिन सूत्र बताते है कि हितानंद के हित यहां आड़े आ गए हैं। वे देवास के नेता जयपालसिंह चावड़ा को इंदौर में फ्री हैंड के पक्ष में हैं। वही वीडी शर्मा प्राधिकरण से ज्यादा नगर भाजपा में नए अध्यक्ष का मन बना चुके हैं। हालिया इंदौर दौरे में उन्होंने दीपक जैन के निवास पर भोजन कर अपनी पसंद भी साफ कर दी* ।हालांकि भाजपा नगर अध्यक्ष पद को लेकर अन्य नाम भी है लेकिन वीडी शर्मा के अध्यक्ष रहते वे इतना दम नही पकड़ पा रहे हैं।